इंदिरा गांधी
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नौकरशाह यशपाल कपूर के चुनाव प्रचार से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी परेशानी में आ गईं थी। उन्होंने सरकारी पद पर रहते हुए पूर्व प्रधानमंत्री के समर्थन में वोट मांगे थे। इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जगमोहन लाल सिन्हा ने इसके लिए इंदिरा गांधी को भी भ्रष्ट आचरण का दोषी माना था। उन्होंने फैसले में कहा था कि ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी रहते हुए कपूर ने उनके समर्थन में चुनावी सभा को संबोधित किया था। उन्होंने सरकारी सेवा से इस्तीफा दिया था जो 25 जनवरी को स्वीकार गया था। राष्ट्रपति के इस्तीफा स्वीकार करने तक वह सरकारी सेवा में थे, लेकिन कपूर ने इससे पहले ही 7 जनवरी 1971 चुनाव प्रचार किया।
अमर उजाला के 13 जून 1975 के अंक में प्रकाशित समाचार के अनुसार इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जगमोहन लाल सिन्हा ने अपने 258 पेजों के फैसले में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विशेष कार्याधिकारी और प्रधानमंत्री के सचिव पीएन हक्सर के अदालत में दिए बयानों को विश्वसनीय नहीं माना। जस्टिस सिन्हा ने कहा कि यशपाल कपूर को 7 जनवरी 1971 को रायबरेली भेजा गया। वहां उन्होंने इंदिरा गांधी के समर्थन में मुंशीगंज में सभा को संबोधित किया।
न्यायाधीश ने फैसले में कहा कि यशपाल कपूर का इस्तीफा राष्ट्रपति ने 25 जनवरी को स्वीकार किया था, लिहाजा उन्हें उस दिन तक सरकारी सेवा में माना जाना चाहिए। कोर्ट ने इंदिरा गांधी के वकील की यह दलील भी ठुकरा दी कि कपूर इंदिरा के चुनाव एजेंट नहीं थे और उनसे इंदिरा के समर्थन में प्रचार करने के लिए नहीं कहा गया था। हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी के इस बयान को भी स्वीकार नहीं किया कि उन्होंने 1970 में अपने पत्रकार सम्मेलन में चुनाव के इरादों की चर्चा नहीं की थी। कोर्ट ने इंदिरा गांधी के राजपत्रित अधिकारी की चुनाव में सहायता लेने को भ्रष्ट आचरण माना। साथ ही यह भी कहा कि कपूर 13 जनवरी को इस्तीफे से पहले भी इंदिरा के चुनाव प्रचार के मद्देनजर रायबरेली गए थे।
कपूर ने 19 जनवरी को निहास्ता ( रायबरेली ) में सब पोस्ट ऑफिस के टेलीफोन एक्सचेंज के उद्घाटन के अवसर पर इंदिरा गांधी के समर्थन में वोट मांगे थे। उन्होंने बेटा कलां में भी इंदिरा के समर्थन में प्रचार किया। जस्टिस सिन्हा ने कहा कि इंदिरा गांधी अपने निर्वाचन क्षेत्र में पहले प्रत्याशी थीं, उसके बाद प्रधानमंत्री।
इंदिरा गांधी चुनाव सभाओं में मंच निर्माण और लाउडस्पीकर के लिए सरकारी सेवा नहीं ले सकती थीं, लेकिन उन्होंने ऐसा किया। जस्टिस सिन्हा ने राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को भी फटकार लगाई कि अधिकारियों के इंदिरा के चुनाव में सहयोग करने से मतदाताओं में यह संदेश गया कि सरकार उनकी सहायता कर रही है।
जनता पार्टी सरकार ने यशपाल कपूर को किया था गिरफ्तार
आम चुनाव 1977 के बाद जनता पार्टी की सरकार बनने पर यशपाल कपूर को आपातकाल में भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। अमर उजाला के 17 अगस्त 1977 के अंक में प्रकाशित समाचार के अनुसार, गिरफ्तारी के बाद उन्हें पुलिस रिमांड पर भेज दिया था। चार व्यापारियों के साथ कपूर के एक रिश्तेदार सरीन को भी गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने उन लोगों के यहां छापे मारे थे, जिनकी आपातकाल में मुख्य भूमिका रही थी।