Bangladesh India Out Campaign : मालदीव की तरह बांग्लादेश में भी ‘इंडिया आउट’ कैंपेन को हवा दी गई थी, लेकिन बांग्लादेश में यह कैंपेन फेल साबित नजर आ रहा है. बांग्लादेश के मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने आम चुनावों का बहिष्कार कर भारत के खिलाफ ‘इंडिया आउट’ कैंपेन शुरू किया था. जनवरी में बीएनपी के महासचिव राहुल कबीर रिजवी ने अपनी भारतीय शॉल को जमीन पर फेंक दिया और आग लगा दी, सीधे तौर पर ‘इंडिया आउट’ आंदोलन के साथ एकजुटता व्यक्त की. इसके बाद पार्टियों ने इस आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया पर बहुत प्रचार किया, लेकिन विरोध जमीन पर उतर नहीं पाया.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, इसको लेकर ढाका यूनिवर्सिटी के अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के परोफेसर इम्तियाज अहमद का कहना है कि बीएनपी को चुनाव के बाद कुछ नहीं मिला और उन्होंने अचानक ‘इंडिया आउट’ आंदोलन शुरू कर दिया. आम लोगों को जोड़ने जैसा बुनियादी काम भी नहीं किया.
जनवरी में शुरू किया विरोध
17 जनवरी को बांग्लादेश में बायकॉट इंडिया कैंपेन शुरू हुआ था. छोटे राजनीतिक दलों ने इसकी शुरुआत की. सोशल मीडिया के जरिए उन्होंने भारतीय सामानों और सेवाओं के बायकॉट की अपील की. साथ ही बांग्लादेश में बने प्रोडक्ट्स को खरीदने और उन्हें बढ़ावा देने को कहा था.
भारत पर है निर्भरता, फिर भी विरोध किया
भारत और चीन के ऊपर बांग्लादेश का आयात निर्भर है. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, 2021-22 में बांग्लादेश के कुल आयात का 12% भारत से था, जो अब 16% तक हो गया है. भारतीय दूतावास के मुताबिक, कपास और यार्न जैसे इंडस्ट्रियल कच्चे माल के अलावा रोजमर्रा की चीजों का आयात पिछले 3 साल में तेजी से बढ़ा है. ढाका में चादनीचक और न्यू मार्केट भारतीय कपड़ों के लिए प्रसिद्ध माना जाता है. व्यापारियों का कहना है कि चुनाव के बाद भारतीय चीजों की बिक्री बढ़ी है। कैंपेन के चलते डरे हुए कारोबारी अब राहत में है.
सब्जियां तक भारत से जाती हैं
सब्जियां, तेल, कॉस्मेटिक, कपड़े, मोबाइल और गाड़ियां बांग्लादेश में भारत से ही जाती हैं. भारत से आने वाले लग्जरी आइटम जैसे- ज्वेलरी और फैशनेबल कपड़े भी वहां के लोग खरीदते हैं. बांग्लादेश में कच्चे माल से लेकर कॉटन और कुशल कारीगरों की भी काफी डिमांड है.