वरुथिनी एकादशी पर अन्न का दान करने से मानव, देवता, पितृ सभी को तृप्ति मिल जाती है. शास्त्रों के अनुसार कन्या दान को भी इन दान के बराबर माना जाता है. इससे लक्ष्मी की प्राप्ति होती है.
वरुथिनी एकादशी पर मिट्टी के घड़े में जल भरकर दान करना श्रेष्ठ माना गया है. या फिर राहगीरों को पानी पिलाएं. मान्यता है कि वबच्चे दीर्घायु होते हैं, उन्हें किसी प्रकार की समस्या नहीं होती है.
तिल की उत्पत्ति श्रीहरि से ही हुई है.कहते हैं एकादशी पर काले तिल को जल में प्रवाहित करने पर हरि और शनि बहुत प्रसन्न होते हैं. वहीं तिल से बने मिष्ठान का दान करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है.
वैशाख में गर्मी चरम पर होती है. ऐसे में वरुथिनी एकादशी पर सत्तू का दान करना शुभ माना जाता है. इससे धन लाभ और सौभाग्य मिलता है.
एकादशी विष्णु जी को समर्पित है. ऐसे में इस दिन केला, आम और अन्य रसीले फल जरुरतमंदों को बांटें, मान्यता है इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. शनि भी परेशान नहीं करते.
जूते, चप्पल या छाता भी वरुथिनी एकादशी पर दान कर सकते हैं. कहते हैं जो जरुरतमंदों की मदद करते हैं भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी उनकी हर संकट में रक्षा करते हैं.
Published at : 27 Apr 2024 01:45 PM (IST)
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