बीना/सोनभद्र। एनसीएल अमलोरी ने नवाचार एम-सैंड का उपयोग किसी भी तरह के कंक्रीट संरचना में कहीं भी किया जा सकता है और इसे कहीं भी ऑनलाइन खरीदा जा सकता है। भारत सरकार के “वेस्ट टु वैल्थ मिशन” से संबंधित दूरदर्शी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए क्षेत्रीय महाप्रबन्धक अमलोरी आलोक कुमार के मार्गदर्शन में शनिवार को विक्रेता कार्यशाला का आयोजन किया गया। रियल एस्टेट उद्योग में उपयोग के लिए एम-सैंड को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एम-स्टैंड प्लांट, अमलोरी द्वारा उत्पादित एम-सैंड के जागरूकता कार्यशाला का आयोजन हुआ।
जहाँ आज वास्तविक राज्य विक्रेताओं के साथ हितधारकों की परामर्शी वार्ता आयोजित की गई, क्योंकि यह नदी के रेत के लिए एक स्थायी वैकल्पिक समाधान है। इसकी पर्यावरण अनुकूल प्रकृति और लागत प्रभावशीलता के कारण, इसे कृत्रिम रूप से अमलोरी खदानों द्वारा उत्पादित ओवरबर्डन (ओबी) के बड़े आकार के कठोर पत्थरों को बारीक रेत के आकार के कणों में परिवर्तित कर उत्पादन में लिया जाता है, इसी उत्पादित कणों को दो बार धोया जाता है ताकि ओबी से मिट्टी के हिस्से को हटाया जा सके ताकि आईएस-383 मानक के अनुसार अंतिम रूप से प्रमाणित और परीक्षण किया गया एम सैंड उत्पाद प्राप्त हो सके।
इस एम-सैंड का परीक्षण एनसीएल मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला द्वारा किया गया है और एमएनआईटी, प्रयागराज द्वारा प्रमाणित है। बैठक का मुख्य एजेंडा एम-सैंड की सीधी बिक्री को बढ़ावा देना और एम-सैंड की बिक्री और विपणन से संबंधित मुद्दों का समाधान करना था। साथ ही आईआईटी-बीएचयू के प्रोफेसर तरुण वर्मा द्वारा उपयोगकर्ता को सही जानकारी दी गई, कि एम-सैंड के विभिन्न फायदों के बारे में विस्तार से बताया गया, साथ ही इसकी प्रमाणीकता के संबंध में विस्तार से चर्चा की गई। बैठक के दौरान मुख्य प्रबंधक (आर० एंड डी०) शैलेन्द्र पसारी, स्टाफ अधिकारी (खनन) पी॰के सिंह, आर॰बी राय, स्टाफ अधिकारी (सिविल) पी.के सोनकर, क्षेत्रीय वित्त प्रबंधक पी०टूडो, क्षेत्रीय बिक्री प्रबंधक दीपक सिंह के साथ अन्य लोगो की उपस्थिति रही।