ईवीएम (सांकेतिक)
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निर्वाचन आयोग अब चुनाव के नतीजे घोषित किए जाने के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के साथ सिंबल लोडिंग इकाइयों (एसएलयू) को भी कम से कम 45 दिन संरक्षित रखेगा। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद एसएलयू के रखरखाव के संबंध में संशोधित प्रोटोकॉल जारी किया है व राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को इसका पालन करने को कहा है।
चुनाव आयोग ने बुधवार को जारी बयान में कहा, सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को एसएलयू के संचालन व रखरखाव से संबंधित नए प्रोटोकॉल को लागू करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे व प्रावधान बनाने का निर्देश दिया गया है। आयोग ने कहा, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है, संशोधित प्रोटोकॉल 1 मई, 2024 को या उसके बाद वीवीपैट में चुनाव चिह्न लोडिंग प्रक्रिया के पूरा होने के सभी मामलों में लागू होते हैं।
दरअसल, ईवीएम व वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) की पर्चियों के 100 फीसदी मिलान की मांग वाली याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने अपने आदेश में एसएलयू को 45 दिनों तक स्ट्रॉन्ग रूम में सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था।
पहले मतदान के अगले दिन वापस कर दी जाती थीं मशीनें
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले भारत इलेक्ट्रिकल लि. और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लि. के इंजीनियर एसएलयू को स्थानीय चुनाव अधिकारियों को सौंप देते थे। मतदान के एक दिन बाद एसएलयू इन दोनों कंपनियों के इंजीनियरों को वापस कर दी जाती थी, जो इनके साथ ही बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट का निर्माण करती हैं। कुछ साल पहले, इसमें फीचर जोड़ा गया था, जिससे उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों को टीवी मॉनीटर पर प्रतीक लोड करने की प्रक्रिया दिखाई देती थी।
एसएलयू वीवीपैट में प्रत्याशी के नाम, चुनाव चिह्न अपलोड करती है
- एसएलयू किसी विशेष सीट पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों का नाम व चुनाव चिह्न वीवीपैट या पेपर ट्रेल मशीनों पर अपलोड करती है। अब इसे नतीजों के 45 दिन तक ईवीएम के साथ स्ट्रॉन्ग रूम में सुरक्षित रखा जाएगा।
- चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद इन 45 दिनों में, लोग चुनाव को चुनौती देते हुए संबंधित हाईकोर्ट में चुनाव याचिका दायर कर सकते हैं।
- याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट की ओर से ईवीएम और वीवीपैट पर्चियां मंगाई जा सकती हैं।
वेबसाइट से नेताओं की तस्वीरें हटाएं शिक्षण संस्थान
देश के सभी शिक्षण संस्थानों को अपनी वेबसाइट से राजनेताओं की तस्वीरें हटानी होंगी। शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों, यूजीसी, एआईसीटीई समेत अन्य हितधारकों से लोकसभा चुनावों के मद्देनजर निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए कहा है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सचिव प्रो. मनीष जोशी ने इस बारे में पत्र लिखा। इसमें कहा है कि आचार संहिता के दौरान किसी भी पार्टी के नेताओं के फोटो का प्रचार-प्रसार नहीं किया जा सकता। केंद्र के अधीनस्थ सेंट्रल यूनिवर्सिटी व डीम्ड-टु-बी यूनिवर्सिटी, राज्यों के अधीनस्थ विवि और निजी विवि को निर्देशों का पालन करना होगा। विश्वविद्यालय, कॉलेज, स्कूल समेत सभी शिक्षण संस्थानों को शिक्षा मंत्रियों की तस्वीरें भी वेबसाइट से हटानी होंगी। ऐसा न करने पर कार्रवाई की जाएगी।