brij bhushan sharan singh
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
सूबे की सियासी तपिश के केंद्र कैसरगंज को लेकर मंथन राजधानी से लेकर दिल्ली तक चल रहा है। प्रत्याशी तय करने में पार्टियां नफा- नुकसान पर इतनी गंभीर हैं कि नाम तय करने में पसीना छूट रहा है।
अंतिम दौर में पहुंचे नामांकन में अब प्रत्याशी तय करना मजबूरी सा हो गया है। भाजपा ही नहीं तीनों दलों में घमासान मचा है कि आखिर कमान किसके हाथ में दी जाए, जिससे राजनीतिक इज्जत बची रहे। इसी दांव में भाजपा ने नई राह निकाली है। इसमें किसी दिग्गज को या फिर महिला नेतृत्व के हाथ में क्षेत्र की कमान दी जा सकती है।
बुधवार को पूरे दिन सियासी पारा इसी के आसपास उठता-गिरता रहा। कैसरगंज की नुमाइंदगी कर रहे सियासी अखाड़े के दिग्गज से भाजपा ने आंख क्या फेरी, दावा तय करने में देरी की इंतहां हो गई। सजे मैदान में सियासी सेना पूरे एक माह से कदमताल कर रही है।
सेनापति के न होने से जंग छिड़ ही नहीं पा रही। कैसरगंज के चुनावी इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि कोई दल प्रत्याशी तय करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा। बुधवार को राजनीतिक गलियारों में कई नाम सामने आते रहे, यह अलग बात रही कि किसी नाम पर मुहर नहीं लग सकी।