मतदान के बाद स्याही का निशान दिखातीं मतदाता
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बरेली में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग के सारे इंतजाम, राजनीतिक दलों और स्वयंसेवी संस्थाओं के जागरूकता के दावों की हवा निकल गई। आयोग ने मतदाताओं को मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए निजी वाहनों के इस्तेमाल की भी छूट दी थी। मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए लोगों को जागरूक भी किया गया था। सारी कवायद के बाद भी बरेली लोकसभा क्षेत्र में वर्ष 2019 के मुकाबले इस बार 1.58 फीसदी कम मतदान हुआ। आंवला लोकसभा क्षेत्र में भी मतदान में 1.89 फीसदी की कमी आई है।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बरेली सीट पर 59.46 फीसदी मतदान हुआ था। इस बार यह 1.58 फीसदी गिरकर 57.88 फीसदी पर आ गया। आंवला लोकसभा सीट पर वर्ष 2019 में हुए 58.97 फीसदी मतदान के मुकाबले इस बार 1.89 फीसदी कम 57.08 प्रतिशत मतदाताओं ने ही मताधिकार का इस्तेमाल किया। वर्ष 2019 के मुकाबले इस चुनाव में शहर से लेकर देहात तक मतदान का प्रतिशत घटा है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मतदान प्रतिशत घटने का असर हार-जीत के अंतर के साथ चुनाव परिणामों को भी प्रभावित करेगा। बरेली विधानसभा क्षेत्र में इस बार पांच फीसदी कम मतदाताओं ने वोट डाले। मीरगंज, भोजीपुरा, नवाबगंज और कैंट विधानसभा क्षेत्रों में भी पिछले चुनाव के मुकाबले कम मतदान हुआ है। आंवला लोकसभा सीट के फरीदपुर, दातागंज और शेखूपुर विधानसभा क्षेत्र में दो से तीन फीसदी वोट कम पड़े हैं। आंवला और फरीदपुर विधानसभा क्षेत्रों में भी पिछले चुनाव के मुकाबले कम मतदान हुआ है।