तीर्थ करने के लिए किसी स्थान पर जाने की जरूरत नहीं है. सबसे अच्छा और बड़ा तीर्थ आपका अपना मन है, जिसे विशेष रूप से शुद्ध किया गया हो.
हर व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि आत्मा एक राजा के समान है जो शरीर, इंद्रियों, मन, बुद्धि से बिल्कुल अलग है. आत्मा इन सबका साक्षी स्वरुप है.
image सत्य की कोई भाषा नहीं है. भाषा सिर्फ मनुष्य का निर्माण है, लेकिन सत्य मनुष्य का निर्माण नहीं आविष्कार है. सत्य को बनाना या प्रमाणित नहीं करना पड़ता, सिर्फ उघाड़ना पड़ता है.
धन, लोगों, सम्बन्धियों और मित्रों, या यौवन पर अभिमान मत करो। पलक झपकते ही ये सब समय के साथ छीन लिया जाता है। इस मायावी संसार को त्याग कर परमात्मा को जानो और प्राप्त करो.
मोह से भरा हुआ इंसान एक सपने की तरह है, यह तब तक ही सच लगता है जब तक आप अज्ञान की नींद में सो रहे होते हैं. जब नींद खुलती है तो इसकी कोई सत्ता नही रह जाती है.
ग्रंथों को पढ़ने का तब तक कोई मतलब नहीं ज तक कि हम उनसे ज्ञान प्राप्त न कर सकें. अगर हमें ज्ञान प्राप्त हो जाए तो ग्रंथों को पढ़ने की आवश्यकता नहीं होगी.
Published at : 12 May 2024 07:20 AM (IST)
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