मुल्जिम को अविलंब न्यायिक अभिरक्षा से मुक्त करने का दिया आदेश
विवेचक सुजीत कुमार सेठ द्वारा माननीय हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना की गई है, विवेचक का यह कृत्य कदाचार की श्रेणी में आता है: कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि माननीय हाईकोर्ट के आदेश के परिप्रेक्ष्य में अभियुक्त सन विजय उर्फ रिंकू का रिमांड निरस्तीकरण प्रार्थना पत्र स्वीकार करने के लिए हैं बाध्य
सोनभद्र। विशेष न्यायाधीश(पॉक्सो) एक्ट, सोनभद्र अमित वीर सिंह की अदालत ने वृहस्पतिवार को अभियुक्त सन विजय उर्फ रिंकू के अधिवक्ता रोशनलाल यादव द्वारा प्रस्तुत रिमांड निरस्तीकरण प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए माननीय हाईकोर्ट इलाहाबाद के आदेश के परिप्रेक्ष्य में स्वीकार कर लिया तथा मुल्जिम का रिमांड निरस्त करते हुए उसे अविलंब न्यायिक अभिरक्षा से मुक्त करने का आदेश दिया है। आदेश की प्रति आईजी मिर्जापुर, एसपी सोनभद्र, थानाध्यक्ष रॉबर्ट्सगंज एवं जेल अधीक्षक, गुरमा सोनभद्र को आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित करने को कहा है।
बता दें कि अभियुक्त सन विजय उर्फ रिंकू पुत्र श्रीराम निवासी पूरब मोहाल रॉबर्ट्सगंज ने अधिवक्ता रोशनलाल यादव के जरिए 8 मई 2024 को कोर्ट में दिए रिमांड निरस्तीकरण प्रार्थना पत्र में अवगत कराया था कि मुकदमा अपराध संख्या 112/2024 के मामले में माननीय हाईकोर्ट इलाहाबाद द्वारा 14 मार्च 2024 को रिट पेटीशन स्वीकार करते हुए पिटीशनर संख्या 1 और 2 के विरुद्ध दण्डात्मक कार्यवाही पर अग्रिम तिथि तक रोक लगाकर सभी पक्षों को नोटिस करने का आदेश पारित किया गया है। बावजूद इसके कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए विवेचक सुजीत कुमार सेठ ने 3 मई 2024 को प्रथम रिमांड पेश कर रिमांड स्वीकृत कराकर मुल्जिम को जेल में निरुद्ध कर दिया गया है। उसके बाद बढ़ी हुई धाराओं में 6 मई 2024 को रिमांड स्वीकृत किया गया है। कोर्ट ने इस मामले में विवेचक को तलब करते हुए लिखित जवाब मांगा था। विवेचक सुजीत कुमार सेठ के लोक सभा चुनाव ड्यूटी में व्यस्त रहने के कारण रॉबर्ट्सगंज थानाध्यक्ष सतेंद्र कुमार रॉय ने जवाब प्रस्तुत किया। जिसमें अवगत कराया गया है कि प्रयाप्त सबूत मिलने पर विवेचक ने 7 मई 2024 को चार्जशीट दाखिल कर दिया है। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर कोर्ट ने कहा कि मामले में केवल कुछ धाराओं की वृद्धि होने से माननीय हाईकोर्ट का उक्त आदेश निष्प्रभावी नहीं होता है। अभियुक्त को गिरफ्तार कर उसके रिमांड प्रदान करने की समस्त कार्यवाही माननीय हाईकोर्ट के उपरोक्त आदेश के परिप्रेक्ष्य में अवैध है और अगर अभियुक्त का रिमांड निरस्तीकरण प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया जाता है तो माननीय हाईकोर्ट के उक्त आदेश की अवमानना होगी। जो विवेचक द्वारा की जा चुकी है। क्योंकि सीजेएम सोनभद्र के माध्यम से तथा रजिस्टर्ड डाक से थाने को माननीय हाईकोर्ट के उक्त आदेश की प्रति पूर्व में भेजी जा चुकी थी।विवेचक सुजीत कुमार सेठ द्वारा माननीय हाईकोर्ट के उक्त आदेश की अवहेलना की गई है। विवेचक का यह कृत्य कदाचार की श्रेणी में आता है। अतः यह न्यायालय माननीय हाईकोर्ट इलाहाबाद के उक्त आदेश के परिप्रेक्ष्य में अभियुक्त सन विजय उर्फ रिंकू का रिमांड निरस्तीकरण प्रर्थना पत्र स्वीकार करने के लिए बाध्य है। अभियुक्त सन विजय उर्फ रिंकू द्वारा प्रस्तुत रिमांड निरस्तीकरण प्रार्थना पत्र स्वीकार किया जाता है और मुल्जिम का रिमांड निरस्त किया जाता है। उसे अविलम्ब न्यायिक अभिरक्षा से मुक्त किया जाए। आदेश की प्रति आईजी मिर्जापुर, एसपी सोनभद्र, थानाध्यक्ष रॉबर्ट्सगंज एवं जेल अधीक्षक गुरमा सोनभद्र को आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित की जाए।