बॉम्बे हाईकोर्ट
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बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में मुंबई नगर निगम बीएमसी द्वारा एक डॉक्टर को बर्खास्त करने के फैसले पर रोक लगा दी है। यह रोक अगले आदेश तक लगाई गई है। कोर्ट ने डॉक्टर की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि बीएमसी को विवेकपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। जस्टिस आरिफ डॉक्टर और जस्टिस सोमशेखर सुंदरेसन की अवकाश पीठ ने यह निर्देश दिया। अब हाईकोर्ट इस मामले पर 12 जून को सुनवाई करेगा।
अगली सुनवाई तक हाईकोर्ट ने कार्रवाई पर लगाई रोक
बीएमसी ने भी हाईकोर्ट में कहा कि अगली सुनवाई तक वह डॉक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेंगे। अगले सुनवाई तक डॉक्टर की बर्खास्तगी को भी रोक दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट पीठ ने सीमांतनी बोस की याचिका पर यह निर्देश दिया। सीमांतनी बोस निगम द्वारा संचालित भाभा अस्पताल में बतौर डॉक्टर-शिक्षक पद पर संविदा पर नियुक्त हुईं थी। संविदा पर होने के चलते डॉ. सीमांतनी बोस छह महीने का मातृत्व अवकाश नहीं ले सकतीं थी। नियमों के तहत बोस सिर्फ 7 दिनों के अवकाश की पात्र थीं। हालांकि डॉक्टर ने तय समय से ज्यादा दिनों तक मातृत्व अवकाश लिया, जिस पर बीएमसी ने डॉक्टर को बर्खास्त कर दिया।
बीएमसी के फैसले के खिलाफ डॉ. बोस ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने बीएमसी को विवेकपूर्ण व्यवहार करने की सलाह दी और साथ ही कहा कि मामले पर अगली सुनवाई 12 जून तक डॉक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए। साथ ही कोर्ट ने डॉक्टर के कानूनी तौर पर वैध सभी बकाया का भुगतान करने का भी निर्देश दिया। बीएमसी ने कोर्ट को ये भी बताया कि उन्होंने बिना सैलरी के डॉक्टर को छह माह की छुट्टी लेने की इजाजत दे दी थी।