राजा परीक्षित को श्रृंगी ऋषि द्वारा दिए गए श्राप और सुखदेव जी महाराज द्वारा श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण कराकर दिलाई गई मुक्ति
सोनभद्र । राबर्ट्सगंज नगर स्थित श्री राम जानकी मंदिर में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन शुक्रवार को कथा व्यास वृंदावन से पधारे आचार्य मनोहर कृष्ण जी महाराज ने कहा कि माता सती श्रद्धा हैं और विश्वास हैं भगवान शिव। जब कोई भी कार्य श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाता है तभी हमे पूर्ण फल की प्राप्ति होती है। आचार्य जी द्वारा राजा परीक्षित को श्रृंगी ऋषि द्वारा दिए गए श्राप और सुखदेव जी महाराज द्वारा श्रीमद्भागवत कथा श्रवण कराकर श्राप से मिली मुक्ति की कथा सुनाई गई।
आचार्य जी ने गंगा के किनारे अनशन करना एवं सुखदेव जी महाराज का आगमन सुखदेव जी महाराज के द्वारा राजा परीक्षित को श्रीमद् भागवत कथा श्रवण कराना सबसे पहले सृष्टि विस्तार का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि नारायण के द्वारा ब्रह्मा, ब्रह्मा के द्वारा मनु और शतरूपा की उत्पत्ति हुई। इसके अलावा मनु के द्वारा ही हम मनुष्य की उत्पत्ति हुई है। मनु महाराज की तीन बेटियां और दो पुत्रों का जन्म हुआ। आकूति, देवहूती और प्रसूती महारानी के वंश का विस्तार से वर्णन करते हुए आचार्य जी ने कहा कि आकूति के गर्भ से यज्ञ भगवान और दक्षिणा रूपी कन्या का जन्म हुआ। देवहूति के गर्व से कपिल देव भगवान प्रकट हुए जो भगवान के ही रूप हैं। कपिल देव भगवान माता देवहूती को शांख योग, कर्म योग, ज्ञान योग एवं नवधा भक्ति के बारे में विस्तार से वर्णन किया।
जीव की गति के बारे में वर्णन करते हुए कहा कि प्रसूती महारानी का विवाह दक्ष प्रजापति के साथ हुआ । उनके यहां कन्या का जन्म हुआ जिसका नाम हुआ सती और सती का विवाह भगवान शिव के साथ हुआ। सती माता श्रद्धा हैं और विश्वास हैं भगवान शिव। जब हम कोई भी कार्य करते हैं हमारे अंदर श्रद्धा और विश्वास होना चाहिए , तभी हमें पूर्ण फल की प्राप्ति होती है। कथा में ओम प्रकाश पाठक, महेंद्र प्रसाद शुक्ल, आशुतोष पाठक, अजीत शुक्ला, राजेश पांडेय, पंकज कनोडिया, विजय कुमार कानोडिया, सुशीला देवी,राजेंद्र चौधरी, जेबी सिंह,संतोष मिश्रा,अनिल पांडेय आदि भक्तगण मौजूद रहे।