Giorgia Meloni
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इटली यूरोपीय संघ की अगली संसद के लिए मतदान करने वाला पहला मजबूत और ताकतवर देश बन गया है। इसे इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी की ताकत और ब्लॉक में उनके प्रभाव का परीक्षण माना जा रहा है। ईयू में 27 सदस्य देश हैं। फ्रांस और जर्मनी रविवार को मतदान करेंगे। रविवार को मतदान का आखिरी दिन है।
बता दें, छह जून से नौ जून तक यूरोपीय संसद के लिए मतदान होंगे। मेलोनी ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि वह यूरोप में वहीं करना चाहती हैं जो उन्होंने इटली में किया है।
ईयू पर इटली को नजरअंदाज करने का आरोप
सर्वों की मानें तो मेलोनी की ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी 27 प्रतिशत वोट के साथ जीत सकती हैं। यह 2019 के मुकाबले चार गुना से अधिक है। रोमन वाल्टर एस्पोसिटो ने पर्यावरण पर यूरोपीय संघ की नीतियों के विरोध में अपनी पार्टी के लिए अपना वोट डाला। उन्होंने शिकायत की कि यूरोप ने हमेशा इटली और इतालवी लोगों को कुचलने की कोशिश की। वहीं, 18 साल की छात्रा कार्लोटा सिनार्डी ने कहा कि उन्हें कोई ऐसी पार्टी नहीं मिली जो उनके विचारों का 100 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करती हो। बता दें, भूमध्य सागर में अनियमित प्रवासियों एक बड़ी चिंता है। इसी वजह से मेलोनी इटली का चुनाव जीत पाईं और संसद में जगह बनाई।
स्लोवाकिया-इटली में एक ही दिन हुआ मतदान
इटली में भी उसी दिन मतदान हुआ, जिस दिन स्लोवाकिया में हुआ। स्लोवाकिया 2004 से नाटो और ईयू का सदस्य है। पिछले माह स्लोवाकिया के प्रधानमंत्री रोबर्ट फिको पर हुए हमले ने वहां की राजनीति को गरमा दिया है। सरकार ने विपक्ष की आक्रामक और घृणित राजनीति को जिम्मेदार ठहराया। कहा जाता है कि फिको पर हुआ हमला राजनीति से प्रेरित था। एक फेसबुक पोस्ट में फिको ने अस्पताल के बिस्तर से मतदान करते हुए अपनी तस्वीर डाली। साथ ही उन्होंने मतदाताओं से आग्रह किया कि वे ऐसे सांसदों को चुनें, जो शांति प्रयासों को समर्थन करते हों।