शक्तिनगर/सोनभद्र। शक्तिनगर,अनपरा मार्ग की दोनों पटरियों पर फैली राखड़ और कोल डस्ट ने लोगों का जीना किया दुश्वार है। एक ओर हलाकान करती गर्मी तो दूसरी ओर सड़कों पर उड़ रही धूल ने यहां के रहवासियों का जीना मुहाल कर दिया है। इसके साथ ही दो पहिया वाहन चालकों की हालत पतली कर दी है। यहां जयंत से लेकर शक्तिनगर अनपरा तक लगभग 18 किलोमीटर का मार्ग लोगों के लिए खतरा बना हुआ है। वैसे भी यह रोड किलर रोड के नाम से विख्यात है, जहां आये दिन हादसे होते रहते हैं। इस मार्ग पर परियोजनाओं के लिए राख और कोयला ले जाते भारी वाहन बल्कर, हाइवा खतरे का कारण बने हुए हैं। इन वाहनों से उड़ती सड़कों पर पड़ी राखड़ धूल का ऐसा गुबार बना देती है कि सड़कों पर कुछ देर के लिए आगे का रास्ता नजर नहीं आता। लोगों का कहना है कि चाहे दिन हो या शाम इस मार्ग पर पर निकलना यानी यमराज से सामना करने से कम नहीं है। बताया जाता है कि परियोजना के लिए परिवहन करते वाहनों से गिरकर सड़कों पर फैली राखड़ और कोल डस्ट धूल का ऐसा गुबार खड़ा करती है कि दूर दूर तक सड़कों पर दिखना आसान नहीं होता है। लोगों का कहना है कि यहां संबंधित परियोजनाओं के आला अधिकारियों से ही नहीं अपितु शासन प्रशासन के नुमाइंदों से भी अनेक बार शिकायत की जा चुकी है। जहां सड़कों पर फैली राखड़ की नियमित सफाई किये जाने की मांग भी की गई। लेकिन यहां अधिकारियों के द्वारा इस ज्वलंत समस्या को नजर अंदाज किया जाता रहा है। जिसकी वजह से यहां आये दिन सड़क हादसे हो रहे हैं और अनेक लोग घायल हो जाते हैं।
जयंत, शक्तिनगर, खड़िया बाजार, बीना, कौहरौल, बासी, अनपरा के बीच बनी बस्तियों और व्यवसायिक स्थल के लोगों का कहना है कि उड़ रही कोल डस्ट से लोगों का रहना भी दूभर हो रहा है। यहां दौड़ते भारी वाहनों के कारण हवा के साथ उड़ती राखड़ पूरे क्षेत्र में फैल जाती है। फोरलेन सड़क के किनारे बसी बस्तियों में ऐसा कोई भी घर नहीं है, जहां की गृहणियां दिनभर घर में उड़कर आई कोल डस्ट को साफ न करती हों। यहां रहने वालों के घरों में कपड़े आदि भी कहीं काले तो कहीं भूरे हो जाते हैं। वहीं यहां लगे पेड़ पौधे भी राखड़ से सने हुए हैं, इसके स्वास्थ्य पर भी उड़ रही राखड़ का दुष्प्रभाव देखा जा सकता है। जहां अनेक लोग श्वास और फेंफड़ों से संबंधीत रोग से ग्रसित हैं।