शारीरिक गतिविधियों में भारत की आधी आबादी पीछे- लैंसेट
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भारत की जनता शारीरिक रूप से सक्रियता के मामले में दुनिया में 12वें नबंर पर है। द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल के अनुसार हमारे देश में 57 फीसदी महिलाएं शारीरिक रूप से असक्षम हैं। वहीं, इस सूची में पुरुष तकरीबन 42 फीसदी है। जो दक्षिण एशियाई क्षेत्र में चलन के अनुरूप भी है। इस तरीके से इस क्षेत्र में महिलाओं में शारीरिक गतिविधि का अपर्याप्त स्तर पुरुषों की तुलना में औसतन 14 प्रतिशत अधिक था।
WHO के गाइडलाइन का नहीं होता पालन
वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) समेत शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने कहा कि वयस्कों के अपर्याप्त रूप से शारीरिक रूप से सक्रिय होने के मामले में दक्षिण एशियाई क्षेत्र उच्च आय वाले एशिया प्रशांत क्षेत्र के बाद दूसरे स्थान पर है। जर्नल के लेखकों ने पाया कि वैश्विक स्तर पर लगभग एक तिहाई वयस्क (31.3 प्रतिशत) अपर्याप्त रूप से शारीरिक रूप से सक्रिय थे – जिसे प्रति सप्ताह कम से कम 150 मिनट मध्यम-तीव्रता वाली शारीरिक गतिविधि या प्रति सप्ताह 75 मिनट जोरदार-तीव्रता वाली शारीरिक गतिविधि न करने के रूप में परिभाषित किया गया है।
2000 में 22% भारतीय थे शारीरिक गतिविधि में पीछे
रिपोर्ट के मुताबिक 2010 में दुनिया भर में 26.4 प्रतिशत वयस्कों की तरफ से अपर्याप्त रूप से शारीरिक गतिविधि में भाग लेने से यह पांच प्रतिशत अधिक था, और अगर 2010-2022 का रुझान जारी रहा, तो शारीरिक गतिविधि में 15 प्रतिशत सुधार करने का वैश्विक लक्ष्य पूरा भी नहीं हो पाएगा। शोधकर्ताओं ने पाया कि भारत में, साल 2000 में 22 प्रतिशत से थोड़े अधिक वयस्क अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि में भाग लेते थे, जबकि 2010 में, लगभग 34 प्रतिशत वयस्क अपर्याप्त रूप से शारीरिक रूप से सक्रिय थे। उन्होंने अनुमान लगाया कि यदि वर्तमान रुझान जारी रहा, तो 2030 में 60 प्रतिशत वयस्क अपर्याप्त रूप से शारीरिक गतिविधि में भाग ले सकते हैं।