सुप्रीम कोर्ट
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक कॉन्सटेबल की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। पुलिसकर्मी पर अपनी पत्नी के प्रेमी की पुलिस थाने में हत्या का दोष सिद्ध हुआ था। पुलिसकर्मी की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने दोषी सुरेंद्र सिंह की इस दलील को खारिज कर दिया कि मृतक उसे मारने आया था और उसने आत्मरक्षा में गोली चलाई, जिससे पीड़ित की मौत हो गई। पीठ ने कहा कि ‘यह हत्या के अलावा और कुछ नहीं है। इस्तेमाल किए गए हथियार की प्रकृति, मृतक पर चलाई गई गोलियों की संख्या, शरीर के वह हिस्सा, जहां गोली मारी गईं, ये सभी इस बात की ओर इशारा करती हैं कि अपीलकर्ता ने मृतक को मारने की ही रणनीति बनाई थी।’
चार सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का आदेश
शीर्ष अदालत ने निचली अदालत और दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसलों में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और दोषी को जमानत देने वाले अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया। पीठ ने कहा, ‘यह अपील खारिज की जाती है। अपीलकर्ता को जमानत देने वाला 2 अप्रैल, 2012 का अंतरिम आदेश निरस्त माना जाता है और अपीलकर्ता को आज से चार सप्ताह के भीतर ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया जाता है। इस निर्णय की एक प्रति ट्रायल कोर्ट को भेजी जाएगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अपीलकर्ता आत्मसमर्पण करे और अपनी सजा का शेष भाग भुगते।’
अभियोजन पक्ष के अनुसार, पीड़ित का दोषी की पत्नी के साथ अवैध संबंध था और 30 जून, 2002 को मयूर विहार पुलिस स्टेशन में पीड़ित की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पीड़ित और दोषी को आखिरी बार पुलिस स्टेशन के अंदर एक-दूसरे से बातचीत करते हुए देखा गया था। साथ ही गवाहों – जिनमें पुलिस स्टेशन के अन्य पुलिस कर्मी थे- उन्होंने दोषी को अपनी आधिकारिक 9-एमएम कार्बाइन से पीड़ित की हत्या करते हुए देखा था।