कीर स्टार्मर
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ब्रिटेन में आम चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं। चुनावों में लेबर पार्टी के उम्मीदवार कीर स्टार्मर की पार्टी को जीत मिली है। 14 साल बाद लेबर पार्टी सत्ता को संभालने के लिए तैयार है। इस बार ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी को निराशा हाथ लगी। स्टार्मर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में ऋषि सुनक की जगह लेने जा रहे हैं। यूके की कमान संभालने के साथ ही स्टार्मर का पहला महीना अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और यूरोपीय नेताओं के साथ बैठकों सहित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतियों से भरा होगा। आइए जानते हैं भारत के लिए ब्रिटेन में स्टार्मर सरकार के मायने क्या हैं।
अस्थिर दुनिया को देख रहे
लेबर पार्टी के नेता और विदेश मंत्री बनने की दौड़ में शामिल डेविड लैमी ने कहा, 2010 से सत्ता से बाहर लेबर पार्टी ने प्रगतिशील वास्तविक हालातों पर आधारित विदेश नीति का वादा किया। हम एक अधिक अस्थिर दुनिया को देख रहे हैं, यह वैसा नहीं है जैसा हम चाहते हैं।’
पार्टी ने ब्रेक्सिट को काम करने और यूरोपीय संघ के साथ सुरक्षा समझौते की तलाश करने का भी वादा किया है। वहीं, स्टार्मर की विदेश नीति के एजेंडे का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू ब्रिटेन-भारत संबंधों को मजबूत करना होगा।
पिछली गलतियों से ली सीख
पिछली गलतियों खासकर कश्मीर जैसे मुद्दों पर लेबर के रुख को स्वीकार करते हुए स्टार्मर ने भारत के साथ एक नई रणनीतिक साझेदारी बनाने का वादा किया। मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) और प्रौद्योगिकी, सुरक्षा, शिक्षा एवं जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने की उनकी प्रतिबद्धता दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक के साथ संबंधों को उन्नत करने की उनकी महत्वाकांक्षा को दर्शाती है।
उनके घोषणापत्र में भारत के साथ ‘नई रणनीतिक साझेदारी’ को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता शामिल थी, जिसमें व्यापार समझौते पर जोर दिया गया था।
भारतीयों का विश्वास जीतने के लिए उठाए ये कदम
ब्रिटेन में भारतीय प्रवासियों के साथ तनावपूर्ण संबंधों को सुधारने के लिए स्टार्मर ने अपने अभियान के दौरान कई कदम उठाए। उन्होंने प्रचार के दौरान घर-घर जाकर लोगों से मिलने की कोशिश की। वहीं, हिंदुओं के खिलाफ होने वाले अत्याचार की निंदा की। इतना ही नहीं होली और दिवाली जैसे सांस्कृतिक त्योहार भी मनाए।
इन सब कदमों से साफ है कि स्टार्मर ब्रिटिश-भारतीय समुदायों में अधिक विश्वास और समावेश को बढ़ाना चाहते हैं। हालांकि, ऐसा करना जरूरी भी है क्योंकि लेबर के चुनावी गणित के लिए यह आबादी महत्वपूर्ण है।
आव्रजन नीतियों की राह में मुश्किल
हालांकि, स्टार्मर की महत्वाकांक्षी विदेश नीति के लक्ष्यों को साकार करने की राह में चुनौतियां हैं, खासतौर पर आव्रजन नीतियों और व्यापार समझौतों के संबंध में। आव्रजन को कम करने की आवश्यकता पर द्विदलीय सहमति के साथ, ब्रिटेन के सेवा उद्योग में भारतीय श्रमिकों के लिए अस्थायी वीजा पर बातचीत लेबर के लिए एक नाजुक स्थिती पेश करती है।
ऋषि सुनक को लगा झटका
ऐसा लगता है कि मतदाताओं को लुभाने के लिए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक का अंतिम समय में किया गया प्रयास विफल हो गया है। कंजर्वेटिव्स ने मतदाताओं को चेतावनी दी कि लेबर पार्टी को चुनने से अधिक कर लगेंगे। कीर स्टार्मर के नेतृत्व में लेबर पार्टी फिलहाल 220 सीटों पर आगे है, जबकि ऋषि सुनक की पार्टी ने सिर्फ 31 सीटें जीती हैं। जीत के लिए किसी पार्टी को 650 सदस्यीय हाउस ऑफ कॉमन्स में 326 सीटें जीतने की जरूरत है।
चुनाव के बाद दोनों देशों में हो सकता है मुक्त व्यापार समझौता
भारत और ब्रिटेन के बीच लंबे समय से मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत हो रही है। ब्रिटेन में चुनाव संपन्न होने के बाद इस पर हस्ताक्षर होने की संभावना है। भारत-ब्रिटेन में एफटीए के लिए अब तक कुल 13 दौर की वार्ता हो चुकी है और 14वां दौर 10 जनवरी, 2024 को शुरू हुआ। दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता जनवरी 2022 में शुरू हुई थी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में दोनों देशों के बीच सालाना व्यापार लगभग 38.1 अरब पाउंड का है।