अदालत का फैसला।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षामित्र को सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्त करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। कहा कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्त किए जाने के लिए अयोग्य ठहराया है। याची को डीएम के एक नोटिस में सहायक शिक्षक के रूप में वर्णित करने मात्र से वह उसके के लिए योग्य नहीं हो जाता है। न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की पीठ ने याचिका खारिज करी दी।
मऊ निवासी दीप नारायण सिंह ने याचिका दायर कर शिक्षामित्र को सहायक अध्यापक के रूप नियुक्त कर वेतन आदि देने की मांग की थी। याची का कहना था कि जिला मजिस्ट्रेट/जिला चुनाव अधिकारी ने 20 अप्रैल 2024 को एक नोटिस जारी कर उसकी चुनाव में ड्यूटी लगाई थी। नोटिस में उसका विवरण सहायक अध्यापक, कंपोजिट विद्यालय, देवरिया के रूप में दिखाया गया था।
उनका कहना है कि अगर सरकार उन्हें चुनाव में पीठासीन अधिकारी के रूप में काम करने के लिए उपयुक्त समझती है तो उन्हें सहायक अध्यापक के रूप में काम करने के लिए भी उपयुक्त माना जाना चाहिए। ऐसे में याची को सहायक शिक्षक के रूप में मानते हुए वर्ष 2015 से वेतन देने का निर्देश देने की हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी। कोर्ट ने याचिका पूरी तरह से गलत कहकर खारिज कर दी। ब्यूरो