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आगे इस बात पर अफसोस जताती हैं कि उन्होंने अपने बेटे को जो वक्त दिया, वो समय अपनी बेटी पलक को नहीं दे पाईं. वह अपनी बेटी को अपनी आंखों के सामने बड़े होते हुए नहीं देख पाई. इस बारे में सोच कर वह पछतावे से भर जाती हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं अपनी बेटी को बहुत समय नहीं दे पाई. जब मैंने काम करना शुरू किया तब वह बहुत छोटी थी. अब जब मैं ठीक से व्यवस्थित हो गई हूं, तो मैं अपने बेटे को अधिक समय देती हूं. मुझे उसकी देखभाल करना, उसके कपड़े छांटना, उसका होमवर्क करने में मदद करना पसंद है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मुझे काम करना पसंद नहीं है. बात बस इतनी है कि मैं कोई भी काम कर लेती थी जो पहले मेरे पास आता था. मैं अब ऐसा नहीं करती. अब मैं वहीं काम करती हूं जो मेरे मन भाता है. अगर कोई मन को नहीं लुभा पाया तो मैं वो काम नहीं करती हूं.(फोटो: श्वेता तिवारी/इंस्टाग्राम)