डोनाल्ड ट्रंप
– फोटो : एएनआई
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अमेरिका दौरे पर गए इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू कल यानी गुरुवार को रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे। यह मुलाकात फ्लोरिडा में ट्रंप के निवास मार-ए-लागो पर होगी।
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ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ पर पोस्ट करते हुए लिखा, “गुरुवार (25 जुलाई) को मैं फ्लोरिडा के पाम बीच पर मार-ए-लागो में नेतन्याहू का स्वागत करने के लिए उत्सुक हूं।”
नेतन्याहू अमेरिकी दौरे पर हैं और वाशिंगटन में हैं । बुधवार को वह चौथी बार अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे, ऐसा करने वाले एक एकमात्र विदेशी नेता होंगे। इसके अलावा गुरुवार को व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति जो बाइडन से भी मुलाकात करेंगे।
‘अमरेका का सहयोगी बना रहेगा इस्राइल’
अमेरिका दौरे पर जाने से पहले इस्राइल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा था कि इस्राइल हमेशा संयुक्त राज्य अमेरिका का सहयोगी बना रहेगा। राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों की परवाह किए बिना हम अमेरिका के साथ अपने गठबंधन के लिए प्रतिबद्ध हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की तारीफ करते हुए नेतन्याहू ने कहा, “यह युद्ध में इस्राइल, सीनेटर, उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति के रूप में सार्वजनिक सेवा में अपने लंबे और प्रतिष्ठित करियर के दौरान किए गए कार्यों के लिए बाइडन को धन्यवाद देने का अवसर होगा।
‘अमेरिकी लोग किसी को भी राष्ट्रपति चुनें, इस्राइल मजबूत सहयोगी रहेगा’
नेतन्याहू ने कहा कि मैं दोनों पक्षों के अपने दोस्तों को बताऊंगा कि चाहे अमेरिकी लोग अपने अगले राष्ट्रपति के रूप में किसे भी चुनें, इस्राइल मध्य पूर्व में अमेरिका का अपरिहार्य और मजबूत सहयोगी बना रहेगा।
इस्राइल में आतंकी संगठन घोषित की गई संयुक्त राष्ट्र राहत एजेंसी
फलिस्तीनियों के लिए राहत प्रदान करने वाले प्रमुख संयुक्त राष्ट्र एजेंसी को आतंकी संगठन घोषित करने के लिए विधेयक को इस्राइली संसद ने सोमवार को प्रारंभिक मंजूरी दे दी। यह इस्राइल की ओर से निकाय के साथ संबंध तोड़ने का प्रस्ताव है।
संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) फलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए प्रमुखता से कार्य कर रही है। यूएनआरडब्ल्यूए गाजा, वेस्ट बैंक, जॉर्डन, लेबनान और सीरिया में लाखों फलिस्तीनियों को शिक्षा, स्वास्थ्य और सहायता प्रदान करती है। इस पर इस्राइली नेताओं ने गाजा में हमास के साथ सहयोग करने का आरोप लगाया है। इसकी खिलाफत में किया गया मतदान एजेंसी के खिलाफ दबाव बनाने का इस्राइल का नवीनतम कदम माना जा रहा है।