खबरों के खिलाड़ी।
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हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज होने लगी हैं। राजनीतिक दल अभी से तैयारियों में जुट गए हैं। कांग्रेस ने तो चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए स्क्रीनिंग कमेटियों का गठन कर दिया है। ये कमेटियां विधानसभा चुनावों में उम्मीदवारों का चयन करेगी। वहीं, भाजपा भी लोकसभा चुनाव में मिले झटके के बाद अपनी रणनीति को दुरुस्त करने में लगी हुई है। इस हफ्ते के ‘खबरों के खिलाड़ी’ में इस मुद्दे पर चर्चा हुई। चर्चा के लिए वरिष्ठ पत्रकार रामकृपाल सिंह, विनोद अग्निहोत्री, समीर चौगांवकर, पूर्णिमा त्रिपाठी और अवधेश कुमार मौजूद रहे।
समीर चौगांवकर: भाजपा के लिए इन तीन राज्यों में सबसे बड़ी चुनौती महाराष्ट्र में आने वाली है। यह देखना होगा कि क्या भाजपा फिर से एकनाथ शिंदे के साथ चुनाव लड़कर सत्ता में आती है। हरियाणा में भी लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा का वोट बैंक काफी खिसका है। ऐसे में यहां भी उसके लिए रास्ते आसान नहीं हैं। भूपिंदर सिंह हुड्डा तो मानकर चल रहे हैं कांग्रेस यहां सत्ता में आ सकती है। वहीं, झारखंड में हेमंत सोरेन मामले से झामुमो को फायदा दिख रहा है। इन सबके के बाद भी भाजपा को खारिज नहीं किया जा सकता है।
विनोद अग्निहोत्री: राजनीति में किसी को भी खारिज नहीं करना चाहिए। हरियाणा में दोनों पार्टियां 5-5 सीटें जीतीं हैं। इसके बाद भी विधानसभा चुनाव की अपनी परिस्थिति होती है। कुल मिलाकर भाजपा वहां अपने कील-कांटे दुरुस्त करने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस ने पूरा चुनाव हुड्डा के हवाले कर दिया है। टिकट बंटवारे में किस तरह होता है। सबकुछ उस पर निर्भर करेगा। सत्ता विरोधी लहर जरूर है लेकिन भाजपा आखिरी गेंद तक तक लड़ती है उसे ऐसे ही खारिज नहीं किया जा सकता है। महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन के लिए बड़ी चुनौती है। झारखंड में जहां तक बात है तो सत्ता विरोधी लहर तो है लेकिन हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी उनके पक्ष में दिख रही है। यहां भी फिलहाल कांटे की लड़ाई दिखती है।