वक्फ बोर्ड में बदलाव की हलचल।
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देशभर के वक्फ बोर्ड में जारी व्यवस्थाओं, नियमों, एक्ट और कामकाज के तरीकों में बदलाव की गुनगुनहाहट सुनाई दे रही है। कैबिनेट में लिए गए फैसले के बाद संभवतः सोमवार को इस बदलाव पर अंतिम मुहर लग जाएगी। राष्ट्रव्यापी इस बदलाव में मप्र की अरबों रुपये की संपत्ति भी प्रभावित होने वाली है। यहां मौजूद 15 हजार से ज्यादा संपत्तियां इसके असर में आएंगी।
सूत्रों के मुताबिक सरकार अब वक्फ बोर्ड को लेकर एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। इसके तहत किसी भी संपत्ति को ‘वक्फ संपत्ति’ घोषित करने और उस पर कंट्रोल करने के अधिकारों पर रोक लगाना चाहती है।
सूत्रों के अनुसार कैबिनेट ने शुक्रवार शाम को वक्फ एक्ट में 40 बदलावों पर चर्चा की है। इसमें वक्फ बोर्ड के अधिकार क्षेत्र की जांच करने वाले भी शामिल हैं, जो देशभर में लाखों करोड़ रुपये की संपत्ति को कंट्रोल करते हैं।
अनिवार्य होगा सत्यापन
एक रिपोर्ट के मुताबिक वक्फ एक्ट में एक बड़ा बदलाव प्रस्तावित है, उसके अनुसार वक्फ बोर्ड अगर किसी प्रॉपर्टी पर दावा करती है तो उसका वेरीफिकेशन यानी सत्यापन अनिवार्य रूप से किया जाएगा। वहीं, जिन संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड और किसी आम व्यक्ति के बीच लड़ाई चल रही है, तो उसमें भी वेरीफिकेशन को अनिवार्य करने का प्रस्ताव रखा गया है।
कम होंगे अधिकार
कैबिनेट के फैसलों पर शुक्रवार शाम को हुई आधिकारिक ब्रीफिंग में इस कदम का जिक्र नहीं किया गया था। हालांकि सूत्रों ने संकेत दिया कि वक्फ एक्ट में बदलाव के लिए एक विधेयक पांच अगस्त को संसद में पेश किया जा सकता है। सूत्रों ने ये भी कहा कि संपत्तियों के अनिवार्य सत्यापन के दो प्रावधान, जो वक्फ बोर्ड की मनमानी शक्तियों पर रोक लगाएंगे, अधिनियम में प्रस्तावित प्रमुख संशोधन हैं। देशभर में 8.7 लाख से अधिक संपत्तियां, कुल मिलाकर लगभग 9.4 लाख एकड़, वक्फ बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में हैं।
लगातार हो रही थी मांग
सूत्रों ने कहा कि इस तरह के कानून की जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि मुस्लिम बुद्धिजीवियों, महिलाओं और शिया और बोहरा जैसे विभिन्न संप्रदायों के लोगों मौजूदा कानून में बदलाव की कई बार मांग करते रहे हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संशोधन लाने की तैयारी 2024 के लोकसभा चुनाव से काफी पहले शुरू हो गई थी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि ओमान, सऊदी अरब और दूसरे इस्लामिक देशों के कानूनों पर निगाह डालने से पता चलता है कि इनमें से किसी भी देश ने एक संस्था को इतनी व्यापक शक्तियां नहीं दी हैं। 2013 में यूपीए सरकार के दौरान मूल अधिनियम में संशोधन लाकर वक्फ बोर्ड को और अधिक व्यापक शक्तियां प्रदान की गईं थी, जो वक्फ अधिकारियों, व्यक्तिगत संपत्ति मालिकों और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण सहित कई राज्य संस्थाओं के बीच विवाद का एक प्रमुख कारण रही हैं।
बदलाव के मुताबिक काम करना हमारी प्राथमिकता
मप्र वक्फ बोर्ड अध्यक्ष डॉ. सनव्वर पटेल का कहना है कि राष्ट्रीय स्तर पर किए जाने वाले इस बदलाव को स्वीकार करना और इसके मुताबिक काम करना हमारी प्राथमिकता होगी। उन्होंने कहा कि समय के साथ बदलाव जरूरी होते हैं। यह प्रक्रिया भलाई और वक्फ संरक्षण के लिए ही की जा रही है।