बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्ता पलट के बाद भारत पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जब एएमयू के प्रोफेसर आफताब आलम से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि भारत–बांग्लादेश संबंधों पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा। सेना के कार्यकाल में चीन का हस्तक्षेप बढ़ने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय
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एएमयू के सामरिक-सुरक्षा अध्ययन विभाग के अध्यक्ष प्रो. आफताब आलम ने बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्ता पलट से चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इस घटनाक्रम के बाद भारत में बांग्लादेशी शरणार्थियों की आमद होगी। इसे रोकने के लिए भारतीय सेना को सतर्क रहना होगा और सीमा पर गश्त बढ़ानी होगी।
उन्होंने बताया कि सरकार विरोधी आंदोलन के बीच करीब 15 साल तक देश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को अपना मुल्क छोड़ कर भागना पड़ा, यह एक बड़ी और चौंकाने वाली घटना है, जिसका प्रभाव पूरे दक्षिण एशिया पर पड़ेगा। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और असहमति के दमन जैसे गंभीर आरोपों से घिरीं शेख हसीना पर सरकारी नौकरियों में स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए 30 फीसदी आरक्षण का फैसला भारी पड़ा।
इससे बांग्लादेश में अस्थिरता व अनिश्चितता की स्थिति पैदा होगी। भारत–बांग्लादेश संबंधों पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा। सेना के कार्यकाल में चीन का हस्तक्षेप बढ़ने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है। शेख हसीना के जाने से बांग्लादेश में आर्थिक सुधार के प्रक्रिया धीमी हो जाएगी और मुल्क को गंभीर आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।