सुप्रीम कोर्ट (फाइल)
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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वेतनमान में कटौती और सरकारी कर्मचारी से वसूली का कोई भी कदम दंडात्मक कार्रवाई जैसा है क्योंकि इसके कठोर दीवानी और बुरे परिणाम होंगे।
शीर्ष अदालत ने कहा कि किसी कर्मचारी के वेतनमान को कम करने और अतिरिक्त राशि वसूलने के लिए राज्य सरकार की ओर से लिया गया निर्णय पिछली तारीख से लागू नहीं किया जा सकता है और वह भी लंबे अंतराल के बाद।
न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने एक सेवानिवृत्त कर्मचारी के वेतनमान में कटौती के लिए बिहार सरकार के अक्टूबर 2009 के आदेश को रद्द कर दिया। राज्य ने उससे अतिरिक्त राशि की वसूली का भी निर्देश दिया था।
पीठ ने अपने फैसले में कहा, ‘हमारा विचार है कि वेतनमान में कटौती और सरकारी कर्मचारी से वसूली का कोई भी कदम दंडात्मक कार्रवाई के समान होगा क्योंकि इसके कठोर दीवानी और बुरे परिणाम होंगे।’
शीर्ष अदालत ने एक सेवानिवृत्त कर्मचारी की ओर से दायर अपील पर अपना फैसला सुनाया, जिसने पटना उच्च न्यायालय के अगस्त 2012 के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।