बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन
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बांग्लादेश में बड़ी हजारों अल्पसंख्यकों ने शनिवार को राजधानी ढाका सहित उत्तर-पूर्वी बंदरगाह शहर चटग्राम में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया। बांग्लदेश में हिंदुओं के मंदिरों और घरों पर लगातार हमले हो रहे हैं। जिसको लेकर हिंदुओं ने सुरक्षा की मांग की है।
प्रदर्शनकारियों ने अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने वालों के खिलाफ मुकदमे में तेजी लाने के लिए विशेष न्यायाधिकरण, अल्पसंख्यकों के लिए 10 प्रतिशत संसदीय सीटों का आवंटन और संरक्षण कानून बनाने के लिए राजधानी ढाका में रैली निकाली। जिसके कारण तीन घंटे तक यातायात बाधित रहा।
छात्रों सहित हजारों मुस्लिम लोग भी अल्पसंख्यकों के हितों के लिए एकजुटता व्यक्त करते हुए उनके साथ शामिल हुए। सोमवार को शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और भारत चले जान के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं को लक्षित किया जा रहा है। जिसके कारण उन्हें हिंसा और तबाही का सामना करना पड़ रहा है।
कई हिंदू मंदिरों, घरों और व्यवसायिक भवनों में तोड़फोड़ की गई है। इस हिंसा में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी से जुड़े दो हिंदू नेता मारे गए हैं।
हिंदू संगठनों ने यूनुस को लिखा पत्र, सुरक्षा की मांग
बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से हिंदुओं समेत अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाया जा रहा है। दो हिंदू समूहों ने अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस को पत्र लिखा और बताया है कि अल्पसंख्यकों को 52 जिलों में कम से कम 25 हमलों का सामना करना पड़ा है। साथ ही सुरक्षा की मांग की है।
अल्पसंख्यकों में डर और चिंता
पत्र में कहा गया है कि सांप्रदायिक हिंसा के चलते बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों में व्यापक भय, चिंता और अनिश्चितता पैदा कर दी है और इसके परिणामस्वरूप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी निंदा हुई है। पत्र का हवाला देते हुए मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों संगठनों ने तत्काल इस स्थिति को खत्म करने की मांग की है।
एकता परिषद की प्रेसीडियम सदस्य काजल देवनाथ ने कहा, अल्पसंख्यकों पर हमला करने वालों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए। अगर किसी अल्पसंख्यक व्यक्ति पर राजनीतिक कारणों से हमला किया जाता है, तो भी यह अस्वीकार्य है। जो कोई भी अपराध करता है, उसे सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंदू समुदाय के लोगों को दूसरे के घरों में शरण लेनी पड़ रही है। उन्हें खुद अपने एक मित्र के घर में छिपने के लिए मजबूर होना पड़ा।