बाबा का मनोहारी दर्शन पाकर निहाल हुए भक्त।
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श्रावण पूर्णिमा पर काशी विश्वनाथ के झूलनोत्सव की पूर्व परंपरानुसार बाबा की कजरी का आयोजन टेढ़ी नीम स्थित महंत आवास पर किया गया। कजरी से पहले बाबा की पंचबदन प्रतिमा का पारंपरिक रूप से तिरंगा श्रृंगार किया गया। भक्तों ने बाबा की कजरी और बाबा के भजन गाए गए।
झूला धीरे से झुलाऊं महादेव, गंगा किनारे पढ़ा हिंडोल, डमरूवाले औघड़दानी, झिर-झिर बरसे सावन रस बूंदिया, कहनवा मानो ओ गौरा रानी, जय जय हे शिव परम पराक्रम, तुम बिन शंकर आदि रचनाएं उदीयमान कलाकारों ने बाबा के चरणों में अर्पित कीं।
गायन करने वालों में मिर्जापुर के ध्रुवु मिश्रा, संगीता पाण्डेय, अथर्व मिश्र, करूणा सिंह, सत्य प्रकाश पटेल, सूरज प्रसाद शामिल रहे।
श्रावण पूर्णिमा पर मंदिर की स्थापना काल से चली आ रही लोक परंपरा के अंतर्गत बाबा को माता पार्वती और भगवान गणेश के साथ झूले पर विराजमान कराया जाएगा। काशी विश्वनाथ मंदिर में झूलनोत्सव सायंकाल साढ़े पांच बजे के बाद आरंभ होगा। उससे पूर्व टेढ़ीनीम स्थित श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर बाबा विश्वनाथ की पंचबदन प्रतिमा का विधि-विधान पूर्वक पूजन अर्चन किया जाएगा।