Bhadrapada Sankashti Chaturthi 2024: भगवान गणेश (Ganesh ji) को साक्षात् बुद्धि का स्वरूप, ज्ञान का देवता एवम् सभी बाधाओं या कष्टों को दूर करने वाला देवता माना जाता है. इसे भगवान गणेश की पूजा करने का एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है.
हर साल भाद्रपद (Bhado chaturthi) के महीने में आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन हेरंब संकष्टी चतुर्थी (Heramba Sankashti Chaturthi) का पर्व मनाया जाता है, जो भगवान गणेश के 32 स्वरूपों में से एक हेरम्ब देवता को समर्पित है. इस साल भाद्रपद माह की हेरंब संकष्टी चतुर्थी 2024 में कब है, जान लें डेट, पूजा मुहूर्त.
भाद्रपद हेरंब संकष्टी चतुर्थी 2024 डेट (Bhadrapada Sankashti Chaturthi 2024 Date)
भाद्रपद माह की हेरंब संकष्टी चतुर्थी 22 अगस्त 2024 को है. इसी दिन बहुला चौथ (Bahula Chauth) भी मनाई जाएगी. भगवान गणेश को किसी भी पूजा या अनुष्ठान का आरम्भ करने से पहले देवताओं में सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा की जाती है.
हेरंब संकष्टी चतुर्थी 2024 मुहूर्त (Heramba Sankashti Chaturthi 2024 Time)
पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 22 अगस्त 2024 को दोपहर 01 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 23 अगस्त 2024 को सुबह 10 बजकर 38 मिनट पर इसका समापन होगा.
- सुबह पूजा का समय – सुबह 06.06 – सुबह 07.42
- पूजा मुहूर्त – शाम 05.17 – रात 09.41
- चंद्रोदय समय – रात 08.51
हेरंब संकष्टी चतुर्थी पूजा मंत्र
हे हेरंब त्वमेह्योहि ह्माम्बिकात्र्यम्बकात्मज
सिद्धि-बुद्धि पते त्र्यक्ष लक्षलाभ पितु: पित:
नागस्यं नागहारं त्वां गणराजं चतुर्भुजम्
भूषितं स्वायुधौदव्यै: पाशांकुशपरश्र्वधै:
भाद्रपद संकष्टी चतुर्थी महत्व (Bhadrapada Sankashti Chaturthi Importance)
भाद्रपद माह में गणपति जी (Ganpati ji) की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि इसी महीने में बप्पा का जन्म हुआ था. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है और ये उत्सव 10 दिन तक चलता है. भादो में बप्पा की पूजा से संकट, कष्ट, रोग, दोष दूर होते हैं.
हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि (Heramba Sankashti Chaturthi Puja vidhi)
- इस दिन सूर्योदय के समय उठकर स्नान आदि कार्य करने के बाद शुद्ध वस्त्र धारण करें. पीले रंग के कपड़े पहनें.
- भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा करें और व्रत का संकल्प लें.
- गणेश जी को फूल, फल, सिंदूर, अक्षत, माला और दूर्वा अर्पित करें.इसी के साथ उन्हें मोदक का भोग लगाएं.
- गणेश जी के सामने घी की दीपक जलाएं. इस दौरान गणेश मंत्र का उच्चारण करें.
- अंत में देवता की आरती करें. रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत को खोलें.
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