लालू के ऐसे अफसानों की खूब चर्चा होती है। क्या श्याम रजक के लिए यह बात सही है?
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राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष, देश के पूर्व रेल मंत्री और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बारे में एक समय ऐसी खबरें खूब आया करती थीं कि अपने यहां शामियाना लगाने वाले और सब्जी बेचने वाले के लिए उन्होंने फलां-फलां काम कर दिया। कई विधायकों के बारे में भी यह बातें कही जाती रही हैं। गुरुवार को जब राजद के राष्ट्रीय महासचिव और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से पूर्व मंत्री श्याम रजक ने इस्तीफा दिया तो यह बात चर्चा में आयी कि वह रांची में लालू प्रसाद के कपड़े प्रेस किया करते थे। उनका प्रेस किया हुआ कपड़ा लालू को पसंद आता था, इसलिए नेता बना दिया। इस बात में कितनी सच्चाई है, यह श्याम रजक के मुंह से सुनने के पहले ‘अमर उजाला’ ने झारखंड की राजधानी रांची में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय से बात की। सुबोध कांत सहाय के साथ श्याम रजक ने शुरुआती 20 साल काम किया था। सुबोध कांत सहाय और श्याम रजक ने इस बारे में क्या कहा, पढ़िए आगे…
दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की टीम में थे श्याम
रांची का प्रतिनिधित्व कर चुके तीन बार के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय ने श्याम रजक को लेकर यह सवाल पूछे जाते ही कहा- “मैंने तो श्याम या उसके परिवार को कभी धोबी के रूप में नहीं पहचाना। वह 1974 से करीब 1994 तक मेरा साथी रहा था। जेपी आंदोलन के समय से मैं उसे देख रहा हूं। उसके परिवार को भी जहां तक मैंने देखा है, धोबी के रूप में नहीं। वह लालू प्रसाद यादव या नीतीश कुमार का सहयोगी नहीं था। वह तो दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के साथ रहने वाला कर्मठ कार्यकर्ता था। मुझे वह कर्मठ आंदोलनकारी, 24 घंटे सक्रिय रहने वाला छात्र नेता, दलित नेता, लिखने-पढ़ने वाला तो नजर आया, लेकिन कभी धोबी नहीं दिखा। 1974 के पहले लालू प्रसाद भी उसे शायद ही जानते होंगे कि उनके कपड़े प्रेस कर उसे राजनीति में ले आए। श्याम को राजनीति में लाया जय प्रकाश नारायण ने। जब जनता पार्टी का समय था तो वह चंद्रशेखर के साथ उनकी पैदल यात्राओं में अग्रणी भूमिका निभाता था। जनता पार्टी का बिखराव होने के बाद जब जनता दल का उदय हुआ, तब भी करीब दो साल बाद वह लालू प्रसाद यादव के करीब आया होगा। इससे ज्यादा बेहतर तो श्याम का ही जवाब हो सकता है।”
श्याम रजक ने लालू का धोबी होने की बात पर क्या कहा?
सुबोधा कांत सहाय ने भी और बेहतर जानकारी के लिए श्याम रजक का विकल्प दिया। ऐसे में ‘अमर उजाला’ ने बिहार की राजद-कांग्रेस और जदयू-भाजपा सरकार में मंत्री रह चुके श्याम रजक से भी इसपर सीधा सवाल किया कि क्या वह लालू प्रसाद यादव के धोबी थे? उनके कपड़े बेहतर प्रेस करने के कारण उन्हें लालू ने नेता बना दिया था? श्याम रजक ने इस सवाल का जवाब दूसरे अंदाज में दिया। उन्होंने कहा- “वह (लालू प्रसाद यादव) जो कहकर खुश रहना चाहें, रह सकते हैं। वह किंगमेकर रहे हैं। मैं कोई किंग तो हूं नहीं। जहां तक धोबी से नेता बनाने का सवाल है तो एक छोटा-सा वाकया याद आता है, जब 1990 में चंद्रशेखर जी ने मुझे वीपी सिंह और लालू प्रसाद यादव जैसे दिग्गजों के सुझाए नामों को दरकिनार कर मुझे टिकट दिया था।”