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अब प्राधिकरणों और स्थानीय निकायों में विकास की रफ्तार तेज होगी। स्टांप विभाग से लिया जाने वाला दो फीसदी विकास शुल्क संबंधित प्राधिकरणों व निकायों को सीधे भेजा जाएगा। धन जल्द मिलने से सड़क-सीवर-पानी और मार्ग प्रकाश जैसे काम रफ्तार पकड़ेंगे। स्टांप विभाग को हर वर्ष विकास शुल्क के रूप में एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा प्राप्त होते हैं। कैबिनेट ने मंगलवार को इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
स्टांप एवं पंजीकरण मंत्री रवींद्र जायसवाल ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए ये प्रस्ताव कैबिनेट में पेश किया गया था। प्रदेश में महिलाओं के लिए स्टांप शुल्क 4 फीसदी और पुरुषों के लिए 5 फीसदी है। अगर संपत्ति शहरी क्षेत्र या निकाय क्षेत्र में है तो 2 फीसदी विकास शुल्क अतिरिक्त लिया जाता है। इससे संबंधित इलाके में सड़क, सीवर, पानी आदि की सुविधाएं दी जाती हैं।
उन्होंने बताया कि पहले रजिस्ट्री विभाग विकास शुल्क वसूल कर ये पैसा सीधे प्राधिकरणों और निकायों को जारी करता था। वर्ष 2013 में सपा सरकार में एक प्रस्ताव पास कर इसे बदल दिया गया। इसके तहत स्टांप विभाग से सीधे पैसा जारी करने का अधिकार ले लिया गया और वित्त विभाग को दे दिया गया। स्टांप मंत्री के मुताबिक इसके पीछे मंशा ये थी कि विकास शुल्क की मद में जारी धनराशि का इस्तेमाल अन्य योजनाओं में कर लिया जाए। इससे प्राधिकरणों और स्थानीय निकायों में आने वाले इलाकों में विकास की गाड़ी पर ब्रेक लगकर आगे बढ़ती थी।
मंगलवार को कैबिनेट ने पुन: स्टांप विभाग को सीधे पैसा जारी करने के अधिकार दे दिए। इस फैसले से जो पैसा देर से प्राधिकरणों व निकायों को मिलता था, उन्हें बड़ी राहत मिलेगी। इससे मूलभूत बुनियादी ढांचे में तेजी से सुधार होगा। लोगों की शिकायतों में कमी आएगी और स्थानीय निकायों को मजबूती मिलेगी।