इस्लाम (Islam) धर्म में हराम (Haram)और हलाल (Halal)दो तरह के मूल सिद्धांत है, जिसको हर मुसलमान सख्ती से मानता है. आपको पता है इस्लाम में मर्दों को सोने (Gold) से बने जेवर पहनने की मनाही है. ये काम उनके लिए हराम के बराबर है. यह तक की सोने की अंगूठी या चैन तक पहनना सख्त है. लेकिन इस्लाम धर्म में महिलाओं को इन नियम में छूट है. महिलाएं सोने (Gold) से बने जेवरों को पहन सकती है.
इसके पीछे क्या कारण है
इस्लाम धर्म (Islam) के आदर्श पैगंबर मोहम्मद ने मर्दों के लिए दो चीजों को इस्तेमाल में न लाने की बात कही है, जिसमें पहला सोना और दूसरा रेशम से बने कपड़े शामिल है. वही इस्लामिक महिलाओं के लिए दोनों चीजों की इजाजत दी गई है. हालांकि मर्द सोने की जगह चांदी (Silver)के बने जैवरों का इस्तेमाल कर सकता है.
इस्लामिक स्कॉलर ने बताया मनाही की वजह
इस बारे में जब इस्लामिक स्कॉलर से पूछा गया तो दिल्ली वक्फ बोर्ड की मस्जिद से जुड़े मौलाना एजाज कासमी ने बताया कि इस्लाम धर्म में मर्दों को सोना पहनना इसलिए माना किया गया है क्योकि ऐसा हमारे नबी पैगंबर मोहम्मद ने फरमाया है. जो लोग पैगंबर मोहम्मद के अनुयायी हैं उनके लिए ये हराम का काम है. वही महिलाओं को इन नियमों में पूरी तरह से छुट है. नबी के हुक्म के कारण हम उनके आदेशों का पालन करते हैं.
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मौलाना एजाज कासमी ने इसका दूसरा कारण ये भी बताया कि पहले शंहशाह लोग दूसरों को नीचा दिखाने के लिए सोने के आभूषणों का इस्तेमाल करते थे. सोने के बर्तन में खाना खाते थे. मतलब पहले पैसे वाले लोग खुद को बड़ा दिखाने के लिए सोने का इस्तेमाल करते थे.
इन सब असामनता से बचने के लिए उन्होंने मर्दों के लिए इस तरह का फरमान सुनाया जिसे इस्लाम धर्म मानने वाले हर मर्द को मानना पड़ता है. सोना बेहद कीमती धातु है, जिस वजह से सोना पहनने से बुराई आपकी तरफ आकर्षित होती है, जो चोरी और दूसरों की जान तक ले सकती है.
इस्लामिक कानून (शरीयत) में भी मर्दों के लिए सोने के इस्तेमाल को हराम बताया है. जन्नत (Heaven) में ही सोना (Gold) पहनने की इजाजत है, क्योकि जन्नत में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होगा. सबके सब एक बराबर होंगे. वहां किसी में भी घमंड नही होगा. शरीयत के मुताबिक इस्लाम में केवल मर्द जन्नत में ही सोना पहन सकते हैं.
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