ताजनगरी में बेकसूर होने के बाद भी युवक ने जेल में सात दिन की सजा काटी। अब सत्र न्यायालय ने पिछला आदेश निरस्त करके उसे बरी कर दिया।
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उत्तर प्रदेश के आगरा में रेलवे अधिनियम के मामले में अवर न्यायालय ने फिरोज खां को 10 दिन कारावास के साथ 3500 रुपये के दंड की सजा सुनाई थी। आरोपी ने सत्र न्यायालय में आदेश के विरुद्ध अपील की। अपर जिला जज संजय के लाल ने प्रस्तुत अपील स्वीकार करके मामले में सुनवाई की।
सुनवाई के बाद अवर न्यायालय की ओर से 8 मई 2024 को पारित आदेश को निरस्त कर दिया। आरोपी को रेलवे अधिनियम के मामले में बरी करने के आदेश दिए। थाना आगरा छावनी ने फिरोज खां पर रेलवे अधिनियम के तहत कार्रवाई की थी। अवर न्यायालय ने उसे 10 दिन की सजा और 3500 रुपये दंड की सजा सुना दी। उसने आदेश के विरुद्ध सत्र न्यायालय में अपील की।
आरोपी की अधिवक्ता ने कहा कि फिरोज ने कोई अपराध नहीं किया है। उसने बयान दिया कि वह रेलवे स्टेशन पर वैध टिकट लेकर गया था, लेकिन उसके बयानों को नजरअंदाज किया गया। बेकसूर होने के बाद भी जेल में सात दिन की सजा काटनी पड़ी।