दीप्ति जीवांजी
– फोटो : Khel India
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भारतीय महिला पैरा एथलीट दीप्ति जीवांजी के 400 मीटर टी20 वर्ग में कांस्य पदक जीतने पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह आपके समर्पण की जीत है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “पेरिस 2024 पैरालिंपिक में महिलाओं की 400 मीटर – टी20 स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने पर दीप्ति जीवनजी को बधाई। उन्होंने कई प्रतिकूलताओं के बावजूद लचीलापन और समर्पण का प्रदर्शन किया है। मैं भविष्य में उनकी और भी उच्च उपलब्धियों की कामना करती हूं।”
Congratulations to Deepthi Jeevanji on winning bronze medal in women’s 400m – T20 event at the Paris 2024 Paralympics. She has demonstrated resilience and dedication in the face of several adversities. I wish her still higher achievements in the future.
— President of India (@rashtrapatibhvn) September 3, 2024
वहीं पीएम मोदी ने भी दीप्ती को बधाई देते हुए ट्वीट किया, “पैरालंपिक 2024 में महिलाओं की 400 मीटर टी20 में शानदार कांस्य पदक जीतने के लिए दीप्ति जीवनजी को बधाई। वह अनगिनत लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनका कौशल और दृढ़ता सराहनीय है।”
Congratulations to Deepthi Jeevanji for her spectacular Bronze medal win in the Women’s 400M T20 at #Paralympics2024! She is a source of inspiration for countless people. Her skills and tenacity are commendable. #Cheer4Bharat pic.twitter.com/QqhaERCW0q
— Narendra Modi (@narendramodi) September 3, 2024
भारतीय महिला पैरा एथलीट दीप्ति जीवांजी ने 400 मीटर टी20 वर्ग में कांस्य पदक जीता। दीप्ति ने फाइनल में 55.82 सेकेंड का समय लिया और उनका रिएक्शन टाइम 0.164 सेकेंड रहा। इस तरह दीप्ति तीसरे स्थान पर रहीं। भारत ने इस तरह पेरिस पैरालंपिक में 16वां पदक जीता। यह मंगलवार को भारत का पहला पदक रहा। इससे पहले भारत ने सोमवार को कुल आठ पदक अपने नाम किए थे।
इसी महीने 21 बरस की होने वाली दीप्ति यूक्रेन की यूलिया शुलियार (55.16 सेकेंड) और विश्व रिकॉर्ड धारक तुर्किये की आयसेल ओंडर (55.23 सेकेंड) के बाद तीसरे स्थान पर रहीं। टी20 श्रेणी बौद्धिक रूप से कमजोर खिलाड़ियों के लिए है।
गरीबी में बिताया बचपन, माता-पिता के समर्थन से बढ़ीं आगे
तेलंगाना के वारंगल जिले के कलेडा गांव में जन्मीं दीप्ति ने पैरा स्पोर्ट्स की दुनिया में उल्लेखनीय प्रभाव डाला है। बौद्धिक दुर्बलता और गरीबी सहित कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, दीप्ति एक विश्व रिकॉर्ड धारक और कई लोगों के लिए प्रेरणा की किरण बन गई हैं। दीप्ति का प्रारंभिक जीवन वित्तीय संघर्षों और सामाजिक पूर्वाग्रहों से भरा था। उनके माता-पिता दिहाड़ी मजदूर थे, जिन्हें गुजारा चलाने के लिए अपनी जमीन भी बेचनी पड़ी थी। दीप्ति की बौद्धिक दुर्बलता के कारण शुरू में उनका उपहास उड़ाया गया। हालांकि, दीप्ति माता-पिता उसके साथ खड़े रहे और उनके समर्थन ने दीप्ति की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।