Haryana Election 2024: हरियाणा चुनाव के लिए बीजेपी ने जब से दावेदारों के नाम का ऐलान किया है, बीजेपी में खुशी कम और मातम ज्यादा है. वजह सिर्फ ये है कि 48 घंटे से भी कम वक्त में देश की चौथी सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल से लेकर रतिया विधायक लक्ष्मण नापा, पूर्व मंत्री करण देव कंबोज और रणजीत चौटाला समेत हरियाणा बीजेपी के कम से कम 20 कद्दावर नेता बागी हो चुके हैं. कुछ ने बीजेपी का दामन छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया है, कुछ दुष्यंत चौटाला के पास जा रहे हैं तो कुछ ने अकेले ही बीजेपी को मटियामेट करने की कसम खा ली है. लेकिन बीजेपी का आलाकमान चुप है.
इसमें न तो आलाकमान ने अभी तक किसी को मनाने की कोशिश की है और न ही किसी को कहीं एडजस्ट करने का वादा किया है. तो आखिर क्या है बगावत के बाद भी बीजेपी के आलाकमान की चुप्पी का राज, क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के पास है हरियाणा के लिए कोई प्लान बी, जो कद्दावर नेताओं की बगावत पर भी भारी पड़ने वाला है?
पहली लिस्ट बीजेपी ने जारी की है 67 नेताओं के नाम
हरियाणा बीजेपी में जितनी नाराजगी टिकटों को कटने को लेकर है, उससे ज्यादा नाराजगी बाहर से आए नेताओं को टिकट देने को लेकर है. अभी 67 नेताओं की जो पहली लिस्ट बीजेपी ने जारी की है, उसमें 10 ऐसे नेता हैं,जो कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी और दूसरे दलों को छोड़कर बीजेपी में आए हैं. और जो बाहर से आए हैं, उन्हें एडजस्ट करने के चक्कर में ही बीजेपी ने अपने 8 सीटिंग विधायकों का टिकट काट दिया है.
कांग्रेस को है यह उम्मीद
ऐसे में जिन्हें टिकट नहीं मिला है, वो बागी हो गए हैं. विधायक लक्ष्मण दास नापा और पंडित जीएल शर्मा जैसे नेता कांग्रेस में शामिल होने की बात कर रहे हैं, तो सावित्री जिंदल से लेकर रणजीत सिंह चौटाला जैसे कद्दावर नेता निर्दलीय ही विधानसभा चुनाव में उतरने को तैयार हैं. वहीं कांग्रेस को उम्मीद है कि बीजेपी के और भी बागी अभी उसके साथ आएंगे, लिहाजा अब भी कांग्रेस उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करने में देरी करती जा रही है.
बगावत को रोकने की कोशिश में हैं सीएम
जितनी ही देरी कांग्रेस उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करने में कर रही है, उतनी ही तेजी बीजेपी के बागी नेता दिखा रहे हैं. लेकिन बीजेपी का आलाकमान चुप है. जबकि ऐसी भगदड़ वाली स्थिति में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर प्रदेश प्रभारी और खुद पीएम मोदी-गृहमंत्री शाह व्यक्तिगत तौर पर बागियों को मनाने की कोशिश करते रहे हैं. हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान सबने देखा कि खुद प्रधानमंत्री मोदी बागियों को फोन कर रहे हैं. लेकिन अभी हरियाणा चुनाव में बगावत को रोकने की इकलौती कोशिश मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ही करते दिख रहे हैं.
सीएम ने कंबोज से हाथ मिलाने की कोशिश की
हालांकि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी खुद ऐसी स्थिति में हैं नहीं कि उनकी किसी बात का असर किसी बागी नेता पर पड़ता हुआ दिख रहा हो. उदाहरण के तौर पर पूर्व मंत्री कर्णदेव कंबोज की नाराजगी को ही लीजिए. उनका टिकट कटा तो उन्होंने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया. खबर मिली तो खुद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी मनाने के लिए यमुनानगर के रादौर पहुंच गए. नायब सिंह सैनी ने कंबोज से हाथ मिलाने की कोशिश की, तो कंबोज हाथ जोड़कर निकल गए. मजबूरी में नायब सिंह ने उनकी कलाई पकड़ी और पीठ पर हाथ रख सांत्वना देने की कोशिश की.
देश की सबसे अमीर महिला और कुरुक्षेत्र के सांसद नवीन जिंदल की मां सावित्री जिंदल का भी यही हाल है. वो निर्दलीय ही चुनावी मैदान में उतर रही हैं. और तो और उनके बेटे और भाजपा सांसद नवीन जिंदल भी कह रहे हैं कि वो मां का साथ देंगे. तो जाहिर है कि बगावत तो अभी और बढ़ेगी ही बढ़ेगी.
बीजेपी के खिलाफ खोल दिया था मोर्चा
फिर सवाल है कि आखिर पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह बागियों को मनाने की कोशिश क्यों नहीं कर रहे हैं. इसका जवाब मिलता है मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों में. जब मध्य प्रदेश में पिछले साल विधानसभा के चुनाव थे, तो वहां भी टिकटों की घोषणा के साथ ही बीजेपी में बगावत हो गई थी. बीजेपी के ही नहीं संघ के बड़े-बड़े नेता नाराज हो गए थे. बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. स्थानीय स्तर पर उन नेताओं को मनाने की कोशिश हुई, लेकिन किसी भी बड़े नेता ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया.
इंतजार करते रहे कि या तो बागी खुद ही चुप हो जाएंगे या फिर सही समय पर उन्हें संदेश दिया जाएगा. और हुआ भी यही. कुछ बागी खुद चुप हो गए और जो बगावत का झंडा बुलंद किए रहे, उनके लिए वोटिंग से चंद दिन पहले गृहमंत्री अमित शाह का कार्यकर्ताओं को मैसेज आ गया कि अपने रूठे हुए फूफाओं को मनाने की ज्यादा जरूरत नहीं है. उस दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि था कि अगर बागी मान रहे हैं तो ठीक है, वरना आगे बढ़ो. वो अपने आप ही पार्टी का प्रचार करते हुए नजर आएंगे.यही हुआ भी.
जिस मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बड़े-बड़े सियासी पंडित कांग्रेस की एकतरफा जीत की घोषणा कर चुके थे और जिसमें बीजेपी के बागियों का भी बड़ा हाथ था, नतीजों वाले दिन वो सारी घोषणाएं धरी की धरी रह गईं और बीजेपी ने 163 सीटें लाकर एकतरफा जीत दर्ज की. अब हरियाणा में भी बीजेपी के आलाकमान को उसी नतीजे की उम्मीद है. क्योंकि इस बार हरियाणा में भी कई बड़े सियासी पंडित कांग्रेस की जीत का दावा करते हुए नजर आ रहे हैं.
बीजेपी की बगावत के बाद उनके दावों को और भी दम मिलने लगा है. लेकिन बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व चुप है. उसकी चुप्पी में मध्य प्रदेश चुनाव के दौरान किए गए प्रयोग का असर साफ तौर पर दिख रहा है, लिहाजा वो अपने रूठे हुए नेताओं को मनाने का कोई जतन भी करते नहीं दिख रहे हैं.
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