पीएम नरेंद्र मोदी।
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जम्मू-कश्मीर में हो रहे विधानसभा चुनावों का माहौल बिगाड़ने के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने बड़ी साजिश रची है। पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों को डिस्टर्ब करने के लिए जिस गहरी साजिश को अंजाम दिया है, उसके तार बांग्लादेश से जुड़ते दिखाई दे रहे हैं। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक पाकिस्तान ने बांग्लादेश के कट्टरपंथी आतंकी संगठनों को कश्मीर का माहौल खराब करने का टास्क सौंपा है। इसके लिए न केवल सोशल मीडिया का सहारा लिया रहा है, बल्कि बांग्लादेश की तरफ से लगातार घुसपैठ भी कराई जा रही है, ताकि बांग्लादेश के कट्टरपंथी कश्मीर के मुस्लिम समुदाय को भड़का सकें। यहां तक कि अमेरिका में पीएम मोदी के भाषण वाले दिन बड़ा हंगामा खड़ा करने की भी साजिश रची जा रही है।
आईएसआई ने कराई बेल
खुफिया सूत्रों ने बताया कि हाल ही में बांग्लादेश का कट्टरपंथी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम, जिसके संबंध इस्लामिक आतंकी संगठन ‘अल कायदा’ से भी हैं, उसके नेता मुहम्मद जसीमुद्दीन रहमानी की रिहाई इसी रणनीति के तहत आईएसआई ने दबाव बना कर बेल कराई है। वहीं जेल से बाहर आते ही रहमानी ने जहरीले बयान देने शुरू कर दिए। रहमानी ने कहा, उन्होंने कहा, “हम सात बहनों से कहेंगे कि वे स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हों…कश्मीर से कहेंगे कि वह स्वतंत्रता के लिए तैयार हो जाए। पाकिस्तान और अफगानिस्तान मिलकर कश्मीर को स्वतंत्रता दिलाने में मदद करेंगे। हम कश्मीर की आजादी के लिए काम करेंगे।” रहमानी ने कहा, “मैं सिखों से कहूंगा कि तुम्हारा समय आ गया है, अब आजादी का आह्वान करो; भारत के हर प्रांत में जो सिख खालिस्तानी हैं, उनका समय आ गया है।”
जसीमुद्दीन रहमानी को तत्कालीन शेख हसीना सरकार ने 12 अगस्त 2013 को लोगों को हिंसा के लिए उकसाने के आरोप में बरगुना में गिरफ्तार किया गया था। अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के 30 सदस्यों की भी गिरफ़्तारी हुई थी। फरवरी 2013 में राजीब हैदर की हत्या के बाद अंसारुल्लाह बांग्ला टीम ने काफी सुर्खियां बटोरीं थीं। मई 2015 में बांग्लादेश सरकार ने संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया। सूत्रों ने बताया कि इस समूह ने कम से कम चार ब्लॉगर्स और लेखकों की हत्या की है। वे 2016 में एलजीबीटी अधिकार कार्यकर्ता जुलहाज मन्नान और उनके दोस्त खांडोकर महबूब रब्बी टोनॉय की हत्या में भी शामिल थे।
लश्कर से भी हैं अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के संबंध
खुफिया सूत्रों के मुताबिक जसीमुद्दीन रहमानी ने जेल से बाहर आते ही अपने जिहादी नेटवर्क को भारतीय इलाकों में फैलाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। भारतीय सुरक्षा बलों ने भी अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के कई गुर्गों को भी गिरफ्तार किया है। इससे पहले मई 2024 में, असम पुलिस ने गुवाहाटी रेलवे स्टेशन पर अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के दो आतंकियों को हिरासत में लिया था। खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अल-कायदा और अंसारुल्लाह बांग्ला टीम का गठजोड़ भारत के लिए चिंता पैदा करने वाला है। रिपोर्ट बताती हैं कि अंसारुल्लाह बांग्ला टीम ने पूर्वोत्तर भारत में आतंकी हमलों की योजना बनाने के लिए लश्कर-ए-तैयबा के साथ भी हाथ मिलाया था। वहीं, 2022 में, अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के 100 सदस्यों ने त्रिपुरा में बड़ी घुसपैठ की भी कोशिश की थी, जिसे समय रहते नाकाम कर दिया गया।
एबीटी और जेएमबी साजिश में शामिल
इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स के मुताबिक जसीमुद्दीन रहमानी की काशिमपुर हाई सिक्योरिटी सेंट्रल जेल से रिहाई से पहले ही आईएसआई ने 06 अगस्त को भारत में अंसारुल्लाह बांग्ला टीम का हेड इकरामुल हक उर्फ अबू तल्हा की भी दंगाइयों की मदद से जेल तोड़ कर रिहाई करवाई थी। उसे भारतीय एजेंसियों से मिली खुफिया जानकारी के आधार पर 2023 में ढाका में गिरफ्तार किया गया था। उसके साथ भागने वाला एक और शख्स नियामतुल्लाह था, जो कोलकाता में पकड़े गए एक मॉड्यूल का कमांडर था। इसके अलावा जमात-उल-मुस्लिमीन के अमीर अब्दुल अमीन और जमात-उल-मुजाहिदीन, बांग्लादेश (जेएमबी) के नेता भी जेल ब्रेक में भागे थे। सूत्रों ने बताया कि अब अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) और जमात-उल-मुजाहिदीन, बांग्लादेश मिल कर भारत के खिलाफ बड़ी साजिशों को अंजाम देने की कोशिशों में जुटे हैं।
सुरक्षा बलों की आंखों में धूल झोंक कर भारत पहुंचा ये आतंकी
खुफिया सूत्रों ने इस बात का खुलासा किया कि शेख हसीना की सरकार जाने के बाद आईएसआई ने अपनी इसी कोशिशों के चलते एक बड़ी घुसपैठ को भी अंजाम दे डाला। अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के मुहम्मद जसीमुद्दीन रहमानी का बेहद नजदीकी मुफ्ती महमूदुल हसन जुबैर उर्फ मुफ्ती जुबैर रहमानी बांग्लादेश की सीमा पार करके सुरक्षा बलों की आंखों में धूल झोंक कर भारत में घुसपैठ करने में कामयाब रहा। भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए मशहूर महमूदुल हसन जुबैर ने अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के इशारे पर भारत में घुसपैठ की है। सूत्रों ने बताया कि उसने 5 सितंबर को पश्चिम बंगाल में हरिदासपुर से भारत में घुसपैठ की। इस दौरान उसने दिल्ली में इस्लामी संस्थानों और दारुल उलूम देवबंद का भी दौरा किया। कहा जा रहा है कि उसने कश्मीर के भी कुछ इस्लामी संस्थानों से संपर्क करके कश्मीर चुनावों का माहौल बिगाड़ने का सीक्रेट टास्क सौंपा है। सुरक्षा एजेंसियां भी उसके प्लान की छानबीन करने में जुटी हैं। जुबैर रहमानी पहले भी सोशल मीडिया के जरिये भारत विरोधी प्रचार में शामिल रहा है।
मुहावरों के जरिए वोटरों को भड़का रहे आतंकी संगठन
खुफिया एजेंसियों ने बताया कि चुनावों को लेकर सोशल मीडिया पर न केवल भारत विरोधी हैश टैग चलाए जा रहे हैं, बल्कि आतंकी संगठन भी सोशल मीडिया पर एक्टिव हो गए हैं। कश्मीर फाइट आतंकी संगठन ने तो बकायदा जम्मू-कश्मीर चुनावों में हिस्सा लेने वालों को चेतावनी भी जारी कर दी है। आतंकी संगठन ने कहा है कि जो लोग इस चुनाव में हिस्सा ले रहे हैं वह अनुच्छेद 370 हटाने के समर्थक हैं और कश्मीर की आजादी के लिए लड़ रहे लोगों को धोखा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि चुनावों में वोट डालने वाले कश्मीरियों को कड़ी सजा दी जाएगी। वहीं वे मुहावरों और कविता की भाषा में सोशल मीडिया पर लोगों को बरगलाने में जुटे हुए हैं। वहीं पाकिस्तान में बैठे प्रोपेगेंडा अकाउंट्स के जरिए 2018-19 के पुराने हैशटैग्स को भी रिसाइकिल किया जा रहा है।
अमेरिका में पीएम मोदी का विरोध करने की साजिश
खुफिया सूत्रों ने बताया कि अमेरिका में रह रहे कश्मीरी चरमपंथियों ने 26 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी के संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली में भाषण वाले दिन भी न्यूयॉर्क में हंगामा खड़ा करने की बड़ी योजना बनाई है। सरदार जरीफ खान, कश्मीर एवेयरनेस फोरम और कश्मीर अमेरिकन वेलफेयर एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के विरोध में बड़ी रैली निकाल रहे हैं। इसमें गुलाम नबी फाय और दूसरे नेता रेली को संबोधित करने वाले हैं और कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दखल देने की मांग करेंगे। इसके लिए बड़े स्तर पर पोस्टर और पैम्फलेट छपवाए गए हैं।