Indira Ekadashi 2024: एकादशी का (Ekadashi vrat) व्रत वैसे तो हर माह दो बार पड़ती है. लेकिन पितृपक्ष (Pitru Paksha) के दिनों में पड़ने वाली एकादशी तिथि का महत्व अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि इस एकादशी व्रत के प्रभाव से न केवल व्रतधारी को पुण्य फल की प्राप्ति होती है, बल्कि पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है.
इस साल इंदिरा एकादशी का व्रत 28 सितंबर 2024 को रखा जाएगा और व्रत का पारण (Indira Ekadashi Vrat Paran) 29 सितंबर सुबह 06 बजकर 13 मिनट से 08 बजकर 36 मिनट के बीच किया जाएगा. इंदिरा एकादशी के दिन विधि-विधान से भगवान श्रीहरि (Lord Vishnu) के पूजन से पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है. जानते हैं पितृपक्ष में पड़ने वाली इस व्रत कथा के बारे में-
इंदिरा एकादशी व्रत कथा (Indira Ekadashi Vrat katha in Hindi)
युधिष्ठिर के कहने पर भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shri Krishna) आश्विन कृष्ण पक्ष की एकादशी व्रत और इसके फल के बारे में बताते हुए कहते हैं कि, इस एकादशी का नाम इंदिरा एकादशी है, जो पापों का नाश करती है और पितरों को अधोगति के मुक्ति दिलाती है. इस व्रत की कथा ध्यानपूर्वक सुनो, क्योंकि इसका श्रवण करने मात्र से ही वाजपेय यज्ञ के समान फल मिल जाता है.
सतयुग समय की बात है. महिष्मति नाम की नगरी में एक इंद्रसेन नामक प्रतापी राजा था. वह धर्मपूर्वक अपनी प्रजा का शासन करता था. वह पुत्र, पौत्र और धन संपत्ति से संपन्न था और भगवान श्रीहरि का परम भक्त भी था.
एक बार आकाश मार्ग से एक महर्षि राजा की सभा में आए. राजा तुंरत महर्षि के सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए और उनको आसन व अर्घ्य दिया. फिर राजा ने महर्षि ने आगमन का कारण पूछा. तब उन्होंने कहा कि, मैं जो कहने वाला हूं उससे आप आश्चर्य हो जाएंगे.
एक बार मेरा यमलोक जाना हुआ. वहां मैंने यमराज से धर्मशील और धर्मराज की प्रशंसा की. उसी समय यमराज की सभा में महान ज्ञानी और धर्मात्मा तुम्हारे पिता को एकादशी व्रत भंग होने के कारण देखा. उन्होंने मुझे तुम्हें यह संदेश देने को कहा कि, पूर्वजन्म में कोई अड़चन हो जाने के कारण वे यमराज के पास हैं. उन्होंने अपने निमित्त आश्विन कृष्ण इंदिरा एकादशी व्रत करने के लिए कहा, जिससे उन्हे स्वर्ग की प्राप्ति हो.
नारादजी की बात सुनकर राजा ने उनसे व्रत की विधि पूछकर विधिपूर्वक आश्विन कृष्ण पक्ष की इंदिरा एकादशी का व्रत किया. जब राजा ने अपने बांधवों और दासों सहित व्रत किया तो आकाश से पुष्पवर्षा हुई और राजा के पिता गरुड़ पर चढ़कर यमलोक से विष्णुलोक पहुंच गए. बाद में एकादशी व्रत के प्रभाव से राजा इंद्रसेन को भी मरणोपरांत स्वर्गलोक की प्राप्ति हुई.
श्रीकृष्ण कहते हैं- हे युधिष्ठिर! इंदिरा एकादशी व्रत का जो महत्व मैंने तुम्हें कहा, इसका पठन या श्रवण करने मात्र से ही मनुष्यों के पाप मिट जाते हैं औऱ वह संसार के समस्त सुखों का भोग कर बैकुंठ को प्राप्त होता है.
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