07:02 AM, 03-Oct-2024
Kalash Sthapana Puja Vidhi: कलश स्थापना के लिए पूजा स्थल की दिशा
आश्विन माह की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो जाते है। नवरात्रि के पहले दिन देवी के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व होता है। कलश स्थापना के साथ नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि आरंभ हो जाते हैं। कलश स्थापना में दिशा का विशेष महत्व होता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार, देवी दुर्गा की पूजा के लिए ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) सबसे शुभ मानी जाती है। यह दिशा स्वच्छता, पवित्रता और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है। यदि इस दिशा में पूजा की जाती है, तो घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और पूजा का प्रभाव अधिक शक्तिशाली होता है।
06:55 AM, 03-Oct-2024
Navratri 2024: नवरात्रि पर क्यों जलाई जाती है अखंड ज्योति ?
नवरात्रि का त्योहार हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखता है। इसमें नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ विधि-विधान पूर्वक माता का स्वागत किया जाता है और अखंड ज्योति जलाई जाती है। अखंड ज्योति दुर्गा के प्रति समर्पण, आस्था और भक्ति का प्रतीक है। अखंड ज्योति का अर्थ है ‘निरंतर जलने वाला दीपक’। इसे देवी की कृपा और आशीर्वाद का स्रोत माना जाता है।
Shardiya Navratri 2024: नवरात्रि पर क्यों जलाई जाती है अखंड ज्योति, जानिए महत्व और नियम
06:48 AM, 03-Oct-2024
Navratri 2024: कलश स्थापना के नियम
- नवरात्रि के नौ दिनों के लिए अखंड ज्योति प्रज्वलित करें और कलश स्थापना के लिए सामग्री तैयार कर लें।
- कलश स्थापना के लिए एक मिट्टी के पात्र में या किसी शुद्ध थाली में मिट्टी और उसमें जौ के बीज डाल लें।
- मिट्टी के कलश या फिर तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और मौली बांध लें।
- इसके बाद लोटे में जल भर लें और उसमें थोड़ा गंगाजल जरूर मिला लें।
- फिर कलश में दूब, अक्षत, सुपारी और सवा रुपया रख दें।
- आम या अशोक की छोटी टहनी कलश में रख दें।
- एक पानी वाला नारियल लें और उस पर लाल वस्त्र लपेटकर मौली बांध दें।
- दुर्गा चालीसा का पाठ करें
06:42 AM, 03-Oct-2024
Maa Durga Aarti: जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी…
Shardiya Navratri 2024 Durga Mantra Jaap
– फोटो : amar ujala
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी
06:36 AM, 03-Oct-2024
Navratri 2024: नवरात्रि पर क्यों की जाती है कलश स्थापना ?
Shardiya Navratri 2024
– फोटो : अमर उजाला
आज से शुभ योग में शारदीय नवरात्रि शुरू हो गई है। इस बार पंच महायोग में नवरात्रि पर मां का आगमन हुआ है। इस पंच महायोग में घट स्थापना और आराधना करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती है और शुभ फलों में वृद्धि होती है। नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है।
कलश स्थापना को घटस्थापना भी कहते हैं। देवीपुराण में उल्लेख मिलता है कि भगवती देवी की पूजा-अर्चना की शुरुआत करते समय सबसे पहले कलश की स्थापना की जाती है। नवरात्रि पर मंदिरों और घरों में भी कलश स्थापित कर परमब्रह्म देवी दुर्गा के नौ शक्ति स्वरूपों की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार कलश को ब्रह्मा,विष्णु, महेश और मातृगण का निवास बताया गया है। नवरात्रि के पावन पर्व पर कलश स्थापना करने का अर्थ है ब्रह्रांड में समाहित सभी ऊर्जा तत्व का कलश में आह्नान करना। इससे घर में मौजूद होने वाली हर एक तरह की नकारात्मक शक्ति खत्म हो जाती है।
06:31 AM, 03-Oct-2024
आज से शुभ योग में शारदीय नवरात्रि शुरू हो गई है। इस बार पंच महायोग में नवरात्रि पर मां का आगमन हुआ है। इस पंच महायोग में घटस्थापना और आराधना करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं। नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है। कलश स्थापना को घटस्थापना भी कहते हैं। देवीपुराण में उल्लेख मिलता है कि भगवती देवी की पूजा-अर्चना की शुरुआत करते समय सबसे पहले कलश की स्थापना की जाती है। नवरात्रि पर मंदिरों और घरों में भी कलश स्थापित कर परमब्रह्म देवी दुर्गा के नौ शक्ति स्वरूपों की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार कलश को ब्रह्मा,विष्णु, महेश और मातृगण का निवास बताया गया है।
06:16 AM, 03-Oct-2024
Navratri 2024: कलश स्थापना पूजा विधि
कलश स्थापना करने से पहले आप एक मिट्टी के पात्र को लें। फिर एक साफ थाली में थोड़ी सी मिट्टी को डाल दें। अब उसमें जौ के बीज को मिलाएं। इसके बाद इसे मिट्टी के पात्र में डालें और पानी से छिड़काव करें। एक तांबे अथवा मिट्टी के कलश पर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। फिर उसके ऊपरी भाग में मौली बांध लें। अब कलश में साफ जल के साथ उसमें थोड़ा गंगाजल भी मिला लें। फिर उसके ऊपर दूब, अक्षत, सुपारी और कुछ पैसे रख दें। इसके बाद आप आम या अशोक की पत्तियां कलश के ऊपर रख दें।एक नारियल को लाल चुनरी से लपेटकर मौली बांध दें।फिर इस नारियल को कलश के बीच में रख दें, और बाद में इसे पात्र के मध्य में स्थापित कर दें।इस दौरान माता रानी के मंत्रों का जाप करते रहें, इससे देवी प्रसन्न होती हैं।
06:12 AM, 03-Oct-2024
Navratri Day 1 Maa Shailputri Puja : नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा
शारदीय नवरात्रि प्रतिपदा तिथि- मां शैलपुत्री
– फोटो : amar ujala
आदिशक्ति की पूजा का पावन पर्व शारदीय नवरात्रि आज से प्रारंभ हो गया है। नवरात्रि के 9 दिनों तक मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है। नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप देवी शैलपुत्री की पूजा का महत्व होता है। मां शैलपुत्री की पूजा से भक्तों को जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। यह देवी प्रकृति और ऊर्जा की अधिष्ठात्री हैं और इनकी कृपा से भक्तों को मानसिक और शारीरिक शक्ति प्राप्त होती है। शैलपुत्री मां की कृपा से मनुष्य का जीवन सुरक्षित और संतुलित रहता है। यह देवी साधकों को आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती हैं और उनकी साधना को सफल बनाती हैं।
Navratri Day 1 Maa Shailputri: नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना, जानिए महत्व और पूजा विधि
06:02 AM, 03-Oct-2024
Navratri 2024: माता का आगमन डोली पर हुआ
आज, 3 अक्तूबर से शारदीय नवरात्रि पर माता राना का आगमन हो चुका है। लगातार 9 दिनों तक माता दुर्गा अपने भक्तों पर कृपा बरसाएंगी।इस बार गुरुवार नवरात्रि शुरू होने के कारण माता रानी का आगमन डोली पर हुआ। जब माता धरती पर डोली या पालकी में आती हैं तो इसे बहुत अच्छा संकेत नहीं माना जाता है. दरअसल माता रानी का पालकी में आना चिंता का विषय बन सकता है। इससे अर्थव्यवस्था में गिरावट, व्यापार में मंदी, हिंसा, देश-दुनिया में महामारी के बढ़ने और प्राकृतिक आपदाओं के संकेत मिलते हैं।
05:51 AM, 03-Oct-2024
Navratri Kalash Sthapana Subh Muhurat Timing: कलश स्थापना मुहूर्त 2024
पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के लिए दो शुभ मुहूर्त है। पहला शुभ मुहूर्त प्रातः काल 6 बजकर 2 मिनट से लेकर प्रातः काल 7 बजकर 7 मिनट तक रहने वाला है। इसके बाद नवरात्रि के घटस्थापना के लिए दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर के समय का है। यह मुहूर्त सुबह 11 बजकर 34 मिनट से लेकर दोपहर 12:21 तक रहेगा। इस दौरान भी कलश स्थापना कर सकते हैं।