अभय चौटाला
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राजस्थान सीमा से सटे ऐलनाबाद में सियासी पारा गरम है। इनेलो के प्रधान महासचिव अभय चौटाला को अपने गढ़ में कांग्रेस के भरत सिंह बेनीवाल से कांटे की टक्कर मिल रही है। अभय लगातार चार बार से यहां विधायक हैं और पांचवीं बार अपनी चौधर कायम रखने के लिए जोर लगा रहे हैं। भाजपा से अमीरचंद, जजपा से अंजनी लढा व आप से मनीष भी ताल ठोक रहे हैं। जाट बहुल बागड़ी बेल्ट तय करेगी कि ऐलनाबाद में जीत का सेहरा किसके सिर सजेगा। हालांकि, देहात से लेकर शहर तक इनेलो व कांग्रेस की जीत-हार पर ही कयासबाजी हो रही है।
ऐलनाबाद की सियासत इसकी भौगोलिक स्थिति में गुंथी हुई है। यहां राजस्थानी व पंजाबी संस्कृति की भी झलक दिखती है। यूं कहें बागड़ी, मुल्तानी व पंजाबी का मिलाजुला स्वरूप ही ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र है। निर्णायक भूमिका पंजाबी, मुल्तानी व अन्य जातियां निभाती हैं, पर जाट समुदाय को साधे बिना किसी भी प्रत्याशी के लिए जीत संभव नहीं है। इसीलिए बागड़ी बेल्ट पर सबकी निगाहें हैं। बता दें कि ऐलनाबाद की करीब 93 किमी लंबी सीमा राजस्थान से लगती है। इसे ही बागड़ी बेल्ट कहा जाता है।
‘मुकाबलो घणो तगड़ो है, कोई बी जीत सके है’
राजस्थान सीमा से सटा कागदान ऐलनाबाद का आखिरी कस्बा है। यहां एक नुक्कड़ पर बैठे कुछ बुजुर्ग हुक्का गुड़गुड़ा रहे हैं। इन्हीं में शामिल गांव कुम्हारिया के विकास अभय चौटाला के पक्ष में माहौल मानते हैं। कहते हैं, अभय ने नगर परिषद व अपने कोटे से काफी काम कराया है। क्षेत्र की मुख्य मांग कॉलेज की है। इनेलो सरकार आएगी तो वह भी बन जाएगा। कागदाना के अजब सिंह कहते हैं कि लोग मुद्दों पर वोट नहीं करते। यहां प्रभुत्व अभय चौटाला का है, माहौल उनके पक्ष में है। कागदाना के ही मदन सिंह बात काटते हुए कहते हैं, बदलाव की बयार बह रही है। कांग्रेस के पक्ष में माहौल है। अनिल उनकी बात आगे बढ़ाते हुए कहते हैं कि कांग्रेस उलटफेर करेगी। 20 साल से यहां इनेलो िवधायक है, पर आसपास के 10 गांवों के लिए एक डिग्री कॉलेज तक नसीब नहीं हो सका। शेर सिंह कहते हैं, भाजपा सरकार में क्षेत्र की बड़ी समस्या सेम का समाधान नहीं हुआ। नहरी पानी का संकट भी यथावत है। कांग्रेस इन्हें हल करेगी।
- कागदाना से करीब तीन किलोमीटर दूर गिग्गोरानी में भी कुछ लोग बैठे हैं। बुजुर्ग सोरधन कहते हैं, मुकाबला इनेलो-कांग्रेस में बराबर का है। बिल्लू (अभय) यहां से चार बार से जीत रहे हैं, लेकिन इस बार भरत सिंह ने राह कठिन कर दी है। मुकाबलो घणो तगड़ो है। कोई बी जीत सके है। वह युवाओं को नौकरी न मिलने और डिग्री कॉलेज न होने को मुद्दा बताते हैं। कहते हैं, उच्च शिक्षा के लिए बेटियों को सिरसा जाना पड़ता है। युवा सौरभ नशे की बढ़ती प्रवृत्ति से चिंतित दिखे। ऐलनाबाद की अनाज मंडी में मिले नरेश कहते हैं, इनेलो और कांग्रेस में सीधी टक्कर है। बस देखना यह है कि कौन कितने मतों से जीतेगा। अंतिम दौर में कौन बाजी मारेगा, इसका इंतजार करिए।
नेताओं के भाषणों से मुद्दे गुम
ग्रामीण और शहरी मतदाता डिग्री कॉलेज न होने को बड़ा मुद्दा मान रहे हैं। नाथूसरी चौपटा और ऐलनाबाद में लंबे समय से कॉलेज की मांग उठ रही है, लेकिन कोई नेता इसे पूरी नहीं कर सका। हालांकि, प्रत्याशियों के भाषणों से उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली, अनाजमंडी में जलभराव, शहर का बदहाल सीवरेज सिस्टम, सेम की समस्या और नहरी पानी की कमी जैसे मुद्दे गायब हैं।
कांग्रेस को छोड़ दूसरी पार्टी का कोई बड़ा नेता नहीं पहुंचा
वर्ष 1996 के बाद पहली बार कांग्रेस के लिए ऐलनाबाद में जीत की उम्मीद जगी है। लोगों का कहना है कि 27 साल बाद इनेलो व कांग्रेस में ऐसा मुकाबला दिख रहा है। यही वजह है कि पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पंजाब के सांसद राजा वडिंग, रोहतक सांसद दीपेंद्र हुड्डा जोर लगाए हुए हैं। इनेलो की ओर से अभय चौटाला खुद मोर्चा संभाले हुए हैं। वहीं, आप व भाजपा का कोई बड़ा नेता अभी यहां सभा करने नहीं पहुंचा है।
जीते कोई, सीट जाट की
ऐलनाबाद हमेशा से इनेलो का गढ़ रहा है। चार बार से अभय चौटाला विधायक हैं। इस सीट पर जाट नेताओं का ही दबदबा रहा है। यहां ज्यादातर चौटाला का मुकाबला जाट समुदाय से ही आने वाले बेनीवाल नेताओं से हुआ है, जो अलग-अलग दलों से चुनाव लड़ते रहे हैं। इस बार भरत सिंह बेनीवाल सीधी टक्कर में हैं।