मुंबई. लीजेंडरी एक्टर राजकुमार का जन्म ब्लूचिस्तान के लोरालाई इलाके में 8 अक्टूबर 1926 को एक कश्मीरी पंडित परिवार में हुआ था. बचपन का नाम कुलभूषण पंडित था. 40 के दशक में मुंबई और बतौर सब-इंस्पेक्टर काम करने लगे. फिल्म लाइन में आने के बावजूद उनका अंदाज नहीं बदला. वह बहुत ही मुंहफट थे. चलते-फिरते कुछ भी बोल देते थे. बड़े से बड़े एक्टर राजकुमार का नाम सुनते ही झेंप जाते थे और उनके साथ फिल्म करने से कतराते थे. मजेदार बात यह है कि राजकुमार खुद बॉलीवुड के एक तेज-तर्रार एक्टर का नाम सुनकर घबरा गए थे. ये एक्टर कोई और नहीं बल्कि नाना पाटेकर थे.
अभिनेता राजकुमार और नाना पाटेकर ने 1993 में आई फिल्म ‘तिरंगा’ में एकसाथ काम किया था. फिल्म के निर्माता-निर्देश्क मेहुल कुमार थे. मेहुल कुमार ही दोनों एक्टर को एकसाथ अपनी फिल्म में लेकर आए थे. दोनों एक्टर अपने गर्म मिजाज के लिए जाने जाते हैं. ऐसे में लोगों का मानना था कि तिरंगा फिल्म बन ही नहीं पाएगी. मेहुल कुमार ने असंभव को संभव कर दिखाया था. फिल्म बॉक्स ऑफिस पर छा गई थी. आज भी लोग इस फिल्म को बहुत पसंद करते हैं.
रजनीकांत और नसीरुद्दीन शाह ने छोड़ दी थी तिरंगा मूवी
प्रोड्यूसर-डायरेक्टर मेहुल कुमार ने ‘बॉलीवुड ठिकाना’ को दिए इंटरव्यू में विस्तार से इस पर बात की थी. उन्होंने बताया था, ‘जब तिरंगा की अनाउंसमेंट हुई तो राजकुमार की कास्टिंग फाइनल हो चुकी थी. नाना पाटेकर का कैरेक्टर फाइनल नहीं हुआ था. हर कोई पूछता था इंस्पेक्टर का रोल कौन निभाएगा. मैंने शुरू में रजनीकांत से संपर्क किया. मैं मद्रास जाकर उनसे मिला, कहानी सुनाई. उन्हें कहानी भी बहुत पसंद आई लेकिन राजकुमार की बदौलत उन्होंने फिल्म करने से इनकार कर दिया. फिर मैंने नसीरुद्दीन शाह को एप्रोच किया लेकिन उन्होंने भी राजकुमार का नाम सुनते ही फिल्म करने में असमर्थता जताई. फिर मुझे किसी ने नाना पाटेकर का नाम सुझाया. जब मैंने नाना से संपर्क किया तो उन्होंने कॉमर्शियल फिल्म करने से इनकार कर दिया. फिर मैंने उन्हें समझाया कि आर्ट फिल्म से पहचान नहीं मिलेगी. नाना पाटेकर को मेरी बात मन भा गई. उन्होंने मुझे मिलने के लिए बुलाया.’
इंटरव्यू में मेहुल कुमार आगे बताते हैं, ‘मैंने उन्हें स्क्रिप्ट सुनाई. उन्हें अपना कैरेक्टर पसंद आया. फिर बोले कि मैं फिल्म करूंगा लेकिन मेरी एक शर्त होगी. शर्त यह कि ‘अगर राज साहब ने हस्तक्षेप किया तो मैं सेट छोड़कर चला जाऊंगा और फिर लौटकर नहीं आऊंगा.’ मैंने उनकी शर्त स्वीकार कर ली. उसी दिन मैंने नाना पाटेकर को साइनिंग अमाउंट भी दिया और घर लौट आया.’
‘अरे! नाना पाटेकर को क्यों लिया है?
मेहुल कुमार आगे का किस्सा बताते हुए कहते हैं, ‘फिर उसी रात मैंने राजकुमार को फोन लगाया और बताया, ‘राज साहब! इंस्पेक्टर के लिए रोल के लिए एक्टर को फाइनल कर लिया है. उन्होंने उत्सुकता से नाम पूछा तो मैंने नाना पाटेकर का नाम बताया. नाना पाटेकर का नाम सुनते ही वह बोले ‘अरे! नाना पाटेकर को क्यों लिया है? वो तो सेट पर ही गाली-गलौज और मारपीट करता है.’ मैंने कहा कि नाना पाटेकर से बात हो गई और उन्होंने जो शर्त रखी है वो मैं आपको बता देता हूं. मैंने राजकुमार को शर्त बताई तो उन्होंने कहा कि कोई बात नहीं. मैं तो वैसे भी कोई हस्तक्षेप नहीं करता. फिल्म छह माह में पूरी हुई और सुपरहिट ही हुई.’
यह पूछे जाने पर कि क्या सेट पर कभी कोई दोनों के बीच कोई टकराव हुआ? इसके जबाव मेहुल कुमार ने कहा, ‘शुरुआत में दोनों में बातचीत नहीं होती थी. दोनों अलग-अलग बैठते थे. बाद में फिल्म के गाने ‘पी ले पी ले ओ मेरे राज, पी ले पी ले ओ मेरे जॉनी…’ इस गाने के बाद दोनों में दोस्ती हो गई. राज साहब जॉनी शब्द से बहुत प्रभावित हुए थे.’
राजकुमार के पैर छूते थे नाना पाटेकर
हाल ही में नाना पाटेकर ने भी एक इंटरव्यू में तिरंगा फिल्म की शूटिंग से जुड़े अनुभव शेयर किए थे. बकौल नाना पाटेकर तिरंगा की शूटिंग के दौरान जब वह राजकुमार से मिले तो पहली ही मुलाकात में कहा था ‘आप हमारे पिता समान हैं. आपकी इज्जत करते हैं. इसको बरकरार रखना आपके हाथ में है. तिरंगा की शूटिंग के दौरान मेरा उनसे कोई झगड़ा नहीं हुआ. अगर वो कभी गुस्सा भी हुए तो मुंह से कुछ नहीं बोले. मैं उनके पैर छूता था.’
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FIRST PUBLISHED : October 5, 2024, 21:51 IST