हरियाणा में 5 अक्तूबर को हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम जारी हो गए हैं। अब तक सामने आए चुनाव परिणाम में ये साफ हो गया है कि भाजपा पूर्ण बहुमत हासिल करने के साथ हरियाणा में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। चुनाव परिणाम से पहले सामने आए तमाम पोल्स में भाजपा को हारता हुआ दिखाया जा रहा था और कांग्रेस की आसान जीत दिखाई जा रही थी। ऐसे में भाजपा की इस जीत से हर कोई अचंभित है। आइए जानते हैं ऐसे 5 फैक्टर्स के बारे में जिससे भाजपा ने हरियाणा में पूरी बाजी पलट दी और जीत हासिल की है।
बूथ मैनेजमेंट पर जोर
भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों से सबक लिया और हरियाणा विधानसभा चुनाव में बूथ मैनेजमेंट पर पूरा फोकस रखा। कई इलाकों ेमें भाजपा ने माइक्रो मैनेजमैंट किया और सरपंची स्तर की तरह चुनाव लड़ा। राज्य में चुनाव संपन्न होने के बाद सीएम नायव सिंह सैनी ने भी कहा था कि पार्टी सभी बूथों से वोट बंटोरने में कामयाब हुई है। बूथ मैनेजमेंट पर फोकस का फायदा भाजपा को चुनाव परिणाम में साफ देखने को मिला।
चुनाव में मिला RSS का साथ
लोकसभा चुनाव 2024 के समय से ही भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बीच खटपट की खबरें लगातार सामने आ रही थीं। हालांकि, बीते कुछ दिनों में दोनों में कई वार्ताएं हुईं और सुधार हुआ। माना जा रहा है कि आरएसएस ने भी इस चुनाव में भाजपा की मदद की। लोकल केवल पर आरएसएस के कार्यकर्ता भी काफी सक्रिय दिखे।
भाजपा ने कांग्रेस को चुनाव प्रचार में पछाड़ा
हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान में भाजपा कांग्रेस के मुकाबले कई कदम आगे दिखाई दी। पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत तमाम भाजपा के दिग्गज नेताओं ने हरियाणा में जमकर प्रचार किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भाजपा ने हरियाणा चुनाव में 150 रैलियां की तो वहीं, कांग्रेस सिर्फ 70 ही कर सकी। इसके अलावा भाजपा ने सोशल मीडिया आदि पर भी पूर्व में कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए कार्यों की आलोचना की। इसके साथ ही भाजपा ने बीते 10 सालों में किए गए कार्यों का प्रचार प्रसार किया।
सीएम और टिकट बदलने का मिला फायदा
भाजपा ने हरियाणा में विधानसभा चुनाव से कुछ ही महीने पहले मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को हरियाणा का नया मुख्यमंत्री नियुक्त किया। माना जा रहा है कि पार्टी ने खट्टर के प्रति लोगों की नाराजगी को देखते हुए ये कदम उठाया। इसके साथ ही भाजपा ने विधानसभा चुनाव में 25 नए चेहरों को टिकट दिया। इनमें से आधे से ज्यादा चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं।
कांग्रेस की आंतरिक कलह का फायदा
हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी आखिर तक आंतरिक कलह से ही जूझती रह गई। इसका असर साफ तौर पर पार्टी के चुनाव प्रचार में भी दिखाई दिया। कांग्रेस के भीतर ही भूपेंद्र हुड्डा, कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला जैसे कई गुट सामने आ गए थे। हालात ऐसे थे कि कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला ने काफी देरी से चुनाव प्रचार को शुरू किया। राहुल गांधी भी रैली में भूपेंद्र हुड्डा और कुमारी शैलजा का हाथ मिलवाते हुए नजर आए थे। जाहिर सी बात है कि भाजपा ने इस बात का काफी फायदा उठाया।
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