Work Permit in Canada: कनाडा के वर्क परमिट के नियमों में जल्द बदलाव होने वाला है, जिसका भारतीयों पर गहरा असर पड़ सकता है. कनाडा ने अपने पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिट (PGWP) के नियमों कई बड़े बदलाव किए हैं, जो एक नवंबर से लागू होंगे.
इन नियमों में बताया गया है कि अब न्यूनतम कनाडाई भाषा बेंचमार्क (CLB Canadian Language Benchmark) स्कोर 7 अनिवार्य है, और CELPIP, IELTS और PTE CORE जैसी परीक्षाओं के परिणाम स्वीकार किए जाएंगे.
प्राथमिकता उन क्षेत्रों से जुड़े लोगों को दी जाएगी, जिन क्षेत्रों में कनाडा में लंबे समय से चले आ रहे काम करने वाले लोगों की कमी है, जैसे खेती, कृषि-खाद्य, स्वास्थ्य, विज्ञान, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, गणित (STEM), व्यापार और परिवहन. नियमों का नया सेट मौजूदा नियमों में जोड़ा जा रहा है. उम्मीदवारों को पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिट (PGWP) के लिए पोस्ट ग्रेजुएट करवाने वाले चिन्हित एलिजिबल संस्थानों में अपनी शिक्षा पूरी करनी होगी. नए नियम विदेशी छात्रों की संख्या को 10 फीसदी तक कम करने के लिए कनाडाई सरकार की रणनीति का हिस्सा हैं.
अंग्रेजी के अलावा सीखनी होंगी ये भाषाएं
ऐसा माना जा रहा है कि नए नियमों के मुताबिक कनाडा में नौकरी करने के लिए सिर्फ अंग्रेजी नहीं बल्कि फ्रेंच भाषा भी अनिवार्य होगी. कनाडा सरकार भाषा की कुशलता चेक करने के लिए अपने मानकों को तैयार कर रही है. उम्मीदवार को नौकरी पाने के लिए इन भाषाओं को पढ़ने, लिखने, सुनने और बोलने में अपनी काबिलियत साबित करनी होगी.
भारतीय छात्रों पर नए नियमों का क्या होगा असर ?
कनाडा भारतीय छात्रों के लिए पसंदीदा जगहों में से एक है जहां कॉलेजों और विश्वविद्यालयों दोनों में भारतीय छात्रों की संख्या बहुमत में देखी जा सकती है. कैनेडियन ब्यूरो फॉर इंटरनेशनल एजुकेशन (CBIE) की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक कनाडा में 319,130 भारतीय छात्रों को दर्ज किया गया था.जनवरी से जून 2024 तक यह आंकड़ा 1 लाख है.कनाडा में काम करने वाले लोग और छात्रों की संख्या 2019 में 4,37,000 से बढ़कर 2023 में 1.2 मिलियन हो थी.
भारतीयों के लिए बढ़ेंगी मुश्किलें
अनुकूल इमिग्रेशन पॉलिसी के कारण कई भारतीयों के लिए कनाडा अमेरिका की जगह एक विकल्प के तौर पर देखा गया है. हालांकि, हाल ही में होने जा रहे बदलावों से भारतीयों को बड़ा झटका लगने की आशंका है. पिछले करीब एक दशक में, कनाडा भारतीय प्रवासियों के लिए सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली जगहों के रूप में उभरा है, जिसमें कई लोग टेंपरेरी वर्क परमिट इसलिए चुनते हैं ताकि वो परमानेंट रेजीडेंसी (PR ) हासिल कर पाएं. नए प्रतिबंध लग जाने के बाद भारतीय लोगों की महत्वाकांक्षाओं को धीमा करेगा और भारतीय छात्रों के लिए PR हासिल करना कहीं ज्यादा मुश्किल कर देगा.
केस स्टडी
अरविंद मीणा करीब डेढ़ साल पहले ही कनाडा के (PR) परमानेंट रेजिडेंट बने हैं. भारत में IIM – B (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट बेंगलुरु ) से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने कुछ वर्षों तक भारत के सर्वोच्च बैंक में काम किया जिसके कुछ सालों बाद उन्होंने कनाडा जाने का मन बना लिया. उन्हे PR मिलने के बाद कनाडा में अच्छी नौकरी भी मिली, लेकिन अब उन्हें अपनी मंगेतर को शादी के बाद कनाडा लाने के लिए मुश्किल पैदा होने का डर है. मीणा की शादी इस नियम के लाए जाने के बाद है ऐसे में क्या PR मिलने वाले व्यक्ति के जीवनसाथी को भी रियायत मिलेगी या नहीं यह नियमों से फिलहाल साफ नही है.
मीणा की होने वाली पत्नी लंदन से पढ़ाई कर के भारत आई हैं और भविष्य में कनाडा में नौकरी करने की इच्छुक हैं लेकिन क्योंकि उन्हें फ्रेंच नही आती ऐसे में उनके मन में डर है कि अगर फ्रेंच में कुशलता नही होने के कारण नौकरी नहीं मिली तो कनाडा में जीवन यापन कैसे होगा. करीना ( बदला हुआ नाम) कहती हैं कि “मुझे फिलहाल टूरिस्ट वीजा ही मिल पाएगा और क्या मै इसे आगे जाकर वर्क वीजा में कन्वर्ट करवा पाऊंगी या नहीं यह कहना मुश्किल है क्योंकि वर्क वीजा मिलना मुश्किल है. फिलहाल जितने नियम दिए गए हैं अगर उसमे रियायत नहीं हुई तो मैं अपने पति के साथ कनाडा सिर्फ 3 महीने यानि मेहमान की तरह ही रह पाऊंगी”
स्वाति कहती हैं कि आज मौजूद नियमों के मुताबिक मुझे फर्स्ट डिवीजन हर विषय में मिली है लेकिन क्योंकि मुझे फ्रेंच नही आती तो ऐसे में मेरे लिए कनाडा जाना मुश्किल और संघर्षपूर्ण हो जाएगा. मैं कई वर्षों से कनाडा जाने के लिए तैयारी कर रही थी और अब जब सारी चीज़ें मेरे हित में थीं तो ऐसा नियम आने वाला है जिससे मेरे जैसे कई छात्रों को परेशानी हो सकती है.
क्या कहती है कनाडाई सरकार
एक्स पर एक पोस्ट में कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि सरकार इस साल 35 फीसदी कम अंतरराष्ट्रीय छात्र परमिट दे रही है. और अगले साल, “यह संख्या और 10% कम हो जाएगी”.भारत सरकार के हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक, लगभग 13.35 लाख भारतीय छात्र विदेश में पढ़ कर रहे हैं, जिनमें से लगभग 4,27,000 कनाडा में पढ़ने और अध्ययन करने वाले छात्रों की संख्या है.
कम वेतन पर काम करने वाले, अस्थायी विदेशी श्रमिकों की संख्या कम करना कनाडा सरकार का उद्देश्य है साथ ही सरकार उनके काम करने की अवधि को भी कम कर रही है. ट्रूडो के अनुसार “हमने कोविड महामारी के बाद अपने प्रोग्राम में बदलाव किए हैं , लेकिन लेबर मार्केट के बाज़ार में बदलाव हुआ है. हमें कनाडा के कारोबार में निवेश करने के लिए व्यवसायों की आवश्यकता है..”
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