IVRI Bareilly
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बरेली में भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) नौ दिसंबर को 135 साल का हो गया। वर्ष 1889 में पुणे में इंपीरियल बैक्टीरियोलॉजिकल लैब के रूप में इसका संचालन शुरू हुआ और आज यह देश का उत्कृष्ट पशु चिकित्सा संस्थान बन चुका है। रिंडरपेस्ट महामारी उन्मूलन समेत पशुओं को अन्य जानलेवा रोगों से बचाने के लिए संस्थान के नाम कई उपलब्धियां दर्ज हैं।
गोवंश को घातक लंपी स्किन डिजीज से निजात दिलाने के लिए वैज्ञानिकों ने दूसरे संस्थानों के सहयोग से टीका बनाया। कई वैक्सीन, नॉवेल आहार संपूरक, ओवेरियन सिस्ट एबलेशन डिवाइस, ब्लूटंग के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी आधारित ब्लॉकिंग एलाइजा किट, मेसेनकाइमल स्टेम सेल कंडिशंड मीडिया आधारित फार्मूलेशन, हार्वेस्टिंग ऑफ चिकन स्किन फैट फ्रॉम पोल्ट्री स्लीव्स का प्रमाणीकरण आदि कई अहम कार्य किए हैं।
निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त के मुताबिक संस्थान में 22 विषयों में राष्ट्रीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम, पशु चिकित्सा विज्ञान में स्नातक (बीवीएससी, एएच), बायोटेक्नोलोजी, 18 विषयों में एमवीएससी, 03 विषयों में एमएससी, 18 विषयों में पीएचडी की उपाधि, 68 सर्टिफिकेट तथा वोकेशनल कोर्स शुरू किए गए हैं।