1 of 11
महेंद्र कपूर
– फोटो : अमर उजाला
पद्मश्री से सम्मानित गायक महेंद्र कपूर ने अपनी हिट फिल्मों के गीतों की सफलता का कभी भी जश्न नहीं मनाया। फिल्म के गानों की सफलता के बाद वह अपनी खुशी मंदिर जाकर अपने इष्टदेव के साथ साझा करते और वहीं बैठकर देर तक मंत्रों का जाप किया करते। महेंद्र कपूर के जीवन में उनके सीनियर गायक मोहम्मद रफी का काफी प्रभाव रहा है। दोनों ने खुद ही आपस में ये तय किया था कि वे कभी साथ में नहीं गाएंगे। लेकिन, निर्माता, निर्देशक, अभिनेता मनोज कुमार की एक जिद ने इन दोनों महान गायकों का एक गाने में संगम करा ही दिया। महेंद्र कपूर के जन्मदिन पर ‘अमर उजाला’ के पाठकों को उनकी 10 अनसुनी कहानियां सुना रहे हैं, उनके बेटे रोहन कपूर
2 of 11
गोपी गीत की रिकॉर्डिंग के दौरान लता मंगेशकर, दिलीप कुमार, कल्याणजी आनंदजी के साथ महेंद्र कपूर
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
10.
स्कूल में पता चला, मेरे डैडी सेलिब्रिटी हैं
ये उन दिनों की बात है जब मैं छठी कक्षा में पढ़ रहा था। मेरा वास्तविक नाम संजीव है। एक दिन प्रिंसिपल ने कहा, ‘संजीव, क्या तुम्हारे पिता हमारे स्कूल के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनेंगे?’ क्रिकेटर फारुख इंजीनियर भी कार्यक्रम में आने वाले थे। मैंने सोचा कि ये लोग मेरे डैडी का सम्मान क्यों करना चाहते हैं? जब डैडी कार्यक्रम में आए तो स्कूल के सैकड़ों छात्र उनसे मिलने के लिए उनके पीछे भागे। सारे शिक्षक, प्रधानाचार्य सब डैडी का सम्मान कर रहे थे। मैं अचंभित था कि ये क्या हो रहा है? शिक्षक अक्सर डैडी के गाए गानों का जिक्र किया करते थे कि मैंने फलां फिल्म में फलां गाना देखा जिसे तुम्हारे डैडी ने गाया है। तब मुझे धीरे धीरे एहसास हुआ कि डैडी वाकई बड़ी हस्ती हैं।
3 of 11
महेंद्र कपूर के सिंगिंग कॉन्सर्ट
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
09.
भारत का रहने वाला हूं..
मम्मी जब सुबह छह बजे जगाती थी तो उस समय तक डैडी का रियाज शुरू हो चुका होता था। तलत महमूद हमारे घर पर ही रहते थे। जब स्कूल से लौटता तब तक उस्ताद नियाज अहमद खान के साथ संगीत की महफिलें जम चुकी होती थीं। 24 घंटे हमारे घर में सरमग ही सुनाई देती थी। टीवी तब था नहीं तो खाना खाते वक्त हम रेडियो सुनते थे। ठीक से याद नहीं कि डैडी का पहला गाना कौन सा रेडियो पर सुना। 1965 की मेरी पैदाइश है। होश संभालने पर फिल्म ‘उपकार’ का गाना ‘मेरे देश की धरती’ मैंने सुना। इसके लिए डैडी को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। और, संभाला तो ‘पूरब और पश्चिम’ का गाना ‘भारत का रहने वाला हूं, भारत की बात सुनाता हूं’ तो जमाने का गीत बन चुका था।
4 of 11
महेंद्र कपूर अपने परिवार के साथ
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
08
हमारी जिम्मेदारी ईश्वर की
डैडी का मानना था कि इंसान को अपना कर्म करते रहना चाहिए, आगे मालिक के हाथ में है। वह बस अभ्यास पर जोर देते थे। मेरी मां ने मुझे बताया था कि मेरे पिताजी हनुमानजी और शिवजी के बहुत बड़े भक्त थे। जब फिल्म ‘हमराज’ हिट हुई तो इसके गाने (‘किसी पत्थर की मूरत से’, ‘ना मुंह छुपा के जियो’ और ‘नीले गगन के तले’) दिन भर रेडियो पर बजते रहते थे। इसका धन्यवाद देने वह सुबह चार बजे वर्ली के मार्कंडेश्वर मंदिर पहुंचे और शाम चार बजे तक मंदिर के एक कोने में बैठकर निर्जल जाप करते रहे। भगवान से कभी उन्होंने कुछ मांगा नहीं। उनका कहना था कि मांगना क्या? वह तो स्वयं हमारे पिता हैं। उनको पता है कि हमें क्या चाहिए।
5 of 11
महेंद्र कपूर, बी आर चोपड़ा, स्मिता पाटिल और राज बब्बर
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
07
लाइव रिकॉर्डिंग ही पुराने हिट गीतों की जान
‘हमराज’ के सारे गाने हिट हुए तो इसके पीछे साहिर लुधियानवी के लिखे गीत और रवि जी के संगीत का बहुत बड़ा हाथ है। सारे गानों की रिकॉर्डिंग लाइव होती थी। अगर एक भी साजिंदे से थोड़ी सी भी गलती होती थी तो पूरा गीत फिर से रिकॉर्ड करना पड़ता था। हर इंसान दिल से जुड़ा रहता था। आज ‘कट पेस्ट’ का जमाना आ गया है। जितने भी साज हैं सब मशीनी हो गए हैं। मैं ये नही कहता कि अच्छे गायक नहीं आ रहे हैं, लेकिन उनके आने का तरीका गलत है इसलिए लोग उनको याद नहीं रखते हैं।