कानपुर के महाराजपुर में तीन दिन पहले लापता हुई छात्रा की हत्या शव बुधवार की रात की गई। घटना की जांच करने पहुंची फॉरेंसिक टीम और पुलिस ने छात्रा के शरीर के घावों और बह रहे खून को देखने के बाद इस बात का अंदाजा लगाया है। उनका कहना है कि शव मिलने के आठ से दस घंटे पहले हत्या कर शव को खेत में फेंका गया।
हालांकि किसी निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए वह पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने का इंतजार कर रहे हैं। रिपोर्ट से ही मौत के समय के साथ-साथ मौत की वजह और दुष्कर्म को लेकर भी स्थिति स्पष्ट होगी। दरअसल, शव मिलने की सूचना पर पुलिस अधिकारियों के साथ पहुंची फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल से खून के सैंपल, मृतका की चप्पल भी साक्ष्य के रूप में अपने कब्जे में ली।
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kanpur murder
– फोटो : amar ujala
शरीर के कई हिस्सों से खून रिसता मिला
घटनास्थल की फोटोग्राफी की। टीम की मानें, तो छात्रा के दोनों हाथ पीछे बांधने की वजह से टूट गए हैं। एक पैर दूसरे पैर पर चढ़ा हुआ था। बाई तरफ का चेहरा कुचला गया था। अनुमान है कि छात्रा की पहचान मिटाने के लिए यह कृत्य किया गया। महिला पुलिस कर्मी ने जब शव की जांच की, तो शरीर पर कई जगह वहशियत के निशान भी दिखाई दिए। शरीर के कई हिस्सों से खून रिसता मिला।
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खोजी कुत्ता कल्लू सिंह के बंद स्कूल तक गया
घटनास्थल पर फील्ड यूनिट की टीम का खोजी कुत्ता पहुंचा। दुर्गंध आने पर कुत्ता लगभग 500 मीटर दूर स्थित कल्लू सिंह के बंद स्कूल और ट्यूबवेल के पास पहुंचा। वहां से भ्रमित हो गया और सड़क के बाद पांच मीटर मिट्टी पर चलने के बाद घटनास्थल पर लौट आया। हत्यारों ने अंदर अरहर की फसल हटाकर शव फेंके जाने का स्थान बनाया।
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दो साल पहले बेटे को भगा दिया था किसान ने
मृतका के किसान पिता ने बताया कि परिवार में पत्नी, चार बेटियां व एक बेटा शालू है। सबसे बड़ी बेटी की शादी बिल्हौर में हो चुकी है। दूसरी बेटी की कुछ महीने पहले बीमारी की वजह से मौत हो गई थी। जबकि मृतका और उसकी बड़ी बहन साथ रहती है। बेटे का चाल चलन अच्छा न देख उन्होंने दो साल पहले उसे घर से भगा दिया था।
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तीन दिन तक बंधक बनाए रखा, पर नहीं खोज पाई पुलिस
छात्रा के अपहरण के बाद हत्या के मामले की शुरूआती जांच में इस बात के संकेत मिले हैं कि अपहरणकर्ताओं ने उसे तीन दिन तक बंधक बनाए रखा। इसके बाद भी पुलिस उसे नहीं खोज सकी। घटना से महाराजपुर पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। परिजन भी यही कह रहे थे कि पुलिस अगर मामले को गंभीरता से लेकर बच्ची की तलाश करती, तो वह आज जिंदा होती।