Premanand Ji Maharaj Anmol Vachan: प्रेमानंद जी महाराज एक महान संत और विचारक हैं जो जीवन का सच्चा अर्थ समझाते और बताते हैं. प्रेमानंद जी के अनमोल विचार जीवन को सुधारने और संतुलन बनाएं रखने में मार्गदर्शन करते हैं.
यो जो मन है इसकी रचना भगवान ने की है. भगवान कहते हैं इंद्रियों में मैं मन हूं. प्रेमानंद जी महाराज जी का मानना है कि अपने मन को छोड़ कर देखें, गंदी बात में जाएगा. ऐसा नहीं है मन अच्छी बात में भी लगेगा, लगाओगे तो लगेगा वो भी थोड़ी देर के लिए ,लेकिन बुरी बात में मन को लगाने की जरुरत नहीं है, बुरी बात की ओर अपने आप जाएगा. मन के स्वभाव रचना ऐसी है कि वह खुद बुरी तरफ जाएगा.
मन के खेल में मनुष्य फंस गया है, वहां से निकल पाना बहुत ही मुश्किल कार्य है. आप जितना गलत करते जाओगे वो उतना नकारात्मक सोच आपके अंदर भरता जाएगा. उसरा परिणाम ये होगा आप तनाव में रहेंगे. भगवान की शरण में चले जाना ही सबसे अच्छा है. मन को गलत ढंग से प्रयोग करना बंद कर दें, आपको जीवन का हर सुख नसीब होने लग जाएगा.
अगर आपको अपने पति में या पत्नी में सुख नहीं मिला तो आपको विश्व में कहीं और सुख नहीं मिलेगा. हम धर्म के विरुद्ध जाते रहते हैं यह हमारा पाप बन जाता है. माया में फंस जाते हैं और भोगते भोगते इंद्रियों को नष्ट कर देते हैं. हमारा मन सोचना है एक बार और यह काम कर लेते हैं यह एक बार-एक बार को करने को आपका मन खराब कर देता है और आपका धर्म भष्ट हो जाता है. इसी पाप के कारण बुद्धि सही निर्णय नहीं ले पाती.
मन को नियंत्रण में रखें,नाम जप करें, सतसंग करें, एक सीमा में रहें, समाज की सेवा करना सबसे अच्छा सुख है. किसी बिमार की सेवा करना आपको सुख का अनुभव करता है. दीन दुखी लोगों के दिल से जो आशीर्वाद निकलता है वो आपके मन को खुश करता है. किसी भूखे को खाना देना आपका मन शीतल करता है. मन को सत्य मार्ग में लगाएं. धर्म से जुड़े, आध्यातम से अपने मन को जोड़े. गंदी बातों से मन को बचाएं. अपने निश्चय को पक्का रखें. आपको सफलता अवश्य हासिल होगी.
Premanand Ji Maharaj: मन में अच्छे विचार कैसे लाएं, जानें प्रेमानंद महाराज जी से उनके अनमोल वचन
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