राजधानी में इस बार वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव के बाद सबसे कम 60.54 फीसदी मतदान हुआ है, जबकि 2008 में 57.60 फीसदी मतदान हुआ था। ऐसे में मतदान फीसदी के आंकड़ों से उम्मीदवार हार-जीत का आकलन कर रहे हैं। वहीं, मतदान फीसदी कम होने से इस बार राजनीतिक दल भी अचरज में हैं। महिला सुरक्षा, शिक्षा, परिवहन, बिजली, पानी, भ्रष्टाचार, स्वास्थ्य समेत बुनियादी सुविधाओं के मुद्दे पूरे चुनाव में खूब उछले, लेकिन मतदान फीसदी बढ़ाने में नाकामयाब रहे। इतना ही नहीं चुनाव आयोग ने कार्य दिवस के दिन मतदान कराया, लेकिन फिर भी बीते तीन चुनावों में मतदान फीसदी का आंकड़ा पार नहीं हुआ।
राजनीतिक शास्त्र की प्रोफेसर हेना सिंह का मानना है कि तीन विधानसभा चुनावों में दिल्ली के मुद्दे केंद्र में रहे हैं। इस बार मुफ्त की सुविधाओं का मुद्दा सभी दलों के घोषणा पत्र में रहा। पूरा चुनाव अभियान महिला सम्मान समेत अन्य योजनाओं पर केंद्रित रहा। इस बीच महिला सुरक्षा, शिक्षा, परिवहन, बिजली, पानी, भ्रष्टाचार, स्वास्थ्य समेत अन्य मुद्दे मुफ्त सुविधाओं के सामने दब गए। मतदान कम होने के पीछे यह भी एक वजह हो सकती है।
29 सीटों पर 60 फीसदी से कम मतदान
29 विधानसभा क्षेत्रों में 60 फीसदी से भी कम मतदान हुआ। पिछले चुनाव में 19 सीटों पर 65 प्रतिशत से ज्यादा वोट पड़े थे। बल्लीमारान, सीलमपुर, गोलकपुरी, मुस्तफाबाद व मटियामहल जैसी सीटों पर 70 फीसदी से ज्यादा वोट पड़े थे। इस बार सिर्फ आठ सीटों पर ही 65 प्रतिशत से अधिक मतदान हो सका। किसी भी विधानसभा क्षेत्र में मतदान का आंकड़ा 70 फीसदी तक नहीं पहुंच पाया। यमुना पार व मुस्लिम बाहुल्य विधानसभा क्षेत्रों में भी इस बार पिछले चुनावों की तुलना में मतदान कम हुआ। यमुना पार के तीनों जिलों पूर्वी दिल्ली, उत्तरी पूर्वी व शाहदरा के सभी 16 विधानसभा क्षेत्रों में 60 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ। इसमें से उत्तर पूर्वी दिल्ली के तीन विधानसभा क्षेत्रों मुस्तफाबाद, सीलमपुर व गोलकपुरी में 68 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ। शाहदरा के बाबरपुर, रोहतास नगर, सीमापुरी इन तीन विधानसभा क्षेत्रों में मतदान 65 प्रतिशत से अधिक रहा।
इन सीटों पर हुआ सबसे कम मतदान
उत्तरी दिल्ली के सबसे पाॅश इलाकों में शामिल माॅडल टाउन विधानसभा में सबसे कम मतदाता घर से बाहर निकले। कालकाजी से तीनों प्रमुख दलों के दिग्गज नेता मैदान में उतरे थे। इसके बावजूद जनता ने बढ़-चढ़कर वोट नहीं डाले। इस विधानसभा से मुख्यमंत्री आतिशी, कांग्रेस नेता अलका लांबा व भाजपा उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी ने चुनाव लड़ा। वहीं, करोल बाग में बड़ी संख्या में व्यापारी वर्ग रहता है, लेकिन यहां पर 54.55 फीसदी ही मतदान हुआ। इस तरह आरकेपुरम में 54.01 फीसदी, कस्तूरबा नगर में 54.15 फीसदी मतदान हुआ है। ये वे सीटें हैं जहां पर सबसे कम मतदान हुआ है।
इन सीटों पर कम मतदान
- क्षेत्र- वर्ष 2025- वर्ष 2020
- महरौली- 53.04- 56.53
- मॉडल टाउन- 53.40- 59.35
- आरके पुरम- 54.00- 56.62
- मालवीय नगर- 54.00- 58.75
- कस्तूरबा नगर- 54.10- 67.36
- ग्रेटर कैलाश- 54.50- 59.94
- करोल बाग- 54.55- 60.87
- कालकाजी- 54.59- 57.44
- ओखला- 54.90- 58.84
ये सीटें पिछले विधानसभा चुनाव से पिछड़ीं
- क्षेत्र वर्ष 2025 वर्ष 2020
- मुस्तफाबाद- 69.00- 70.55
- सीलमपुर- 68.70- 71.22
- गोकलपुरी- 68.29- 70.41
- त्रिलोकपुरी- 65.29- 66.40
- सीमापुरी- 65.27- 68.12
- मटियामहल- 65.10- 70.51
- रोहतास नगर- 65.10- 67.47
- करावल नगर- 64.44- 67.36
- मंगोलपुरी- 64.81- 66.32
- नजफगढ़- 64.14- 64.41
- कृष्णा नगर- 64.00- 67.47
- शकूर बस्ती- 63.56- 67.66
- मादीपुर- 63.00- 65.59
दिल्ली में विधानसभा चुनाव
वर्ष मतदान
- 2025–60.54%
- 2020-62.60%
- 2015-67.47%
- 2013-66.02%
- 2008-57.60%