Trump Tariffs: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल से रेसिप्रोकल (Reciprocal) टैरिफ लागू करने की घोषणा की थी, जिससे कई देशों विशेषकर भारत, चीन और यूरोप की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है. ब्लूमबर्ग और वॉल स्ट्रीट जर्नल की खबरों के मुताबिक क्षेत्र-विशिष्ट टैरिफ को बाहर रखा जाएगा, जिसका अर्थ है कि कुछ उद्योगों या देशों पर पहले प्रस्तावित टैरिफ लागू नहीं किए जाएंगे. इन खबरों के मुताबिक कहा जा सकता है कि ये भारत के लिए एक राहत वाली बात है.
क्या है ट्रंप की रेसिप्रोकल टैरिफ नीति?
ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि अगर कोई देश अमेरिकी उत्पादों पर हाई टैक्स लगाता है तो अमेरिका भी उस देश के उत्पादों पर समान कर लगाएगा. जैसे यदि भारत अमेरिकी उत्पादों पर 10% आयात शुल्क लगाता है तो अमेरिका भी भारतीय उत्पादों पर 10% का जवाबी टैरिफ लागू करेगा. ट्रंप के अनुसार, इससे अमेरिका की व्यापार नीति अधिक निष्पक्ष (Fair Trade) बनेगी.
किन उत्पादों पर लगने वाला था शुल्क?
फरवरी में ट्रंप ने कहा था कि वह ऑटोमोबाइल पर 25% शुल्क लगाने की योजना बना रहे हैं. सेमीकंडक्टर और फार्मास्युटिकल आयात पर भी समान शुल्क लागू करेंगे, लेकिन अमेरिका की तीन सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों के दबाव के बाद प्रशासन ने कुछ ऑटो टैरिफ को टालने का निर्णय लिया.
2 अप्रैल को क्या होगा? क्षेत्र-विशिष्ट टैरिफ क्यों हटाया गया?
ब्लूमबर्ग न्यूज और वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, अब 2 अप्रैल को क्षेत्र-विशिष्ट शुल्कों की घोषणा नहीं की जाएगी, लेकिन व्हाइट हाउस अभी भी रेसिप्रोकल शुल्क लागू करने की योजना बना रहा है. नीति अस्थिर बनी हुई है और अंतिम निर्णय 2 अप्रैल तक लिया जाएगा.
अमेरिकी ट्रेजरी सचिव का बयान
अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेन्ट ने संकेत दिया कि कुछ शुल्कों को टाल दिया जा सकता है, लेकिन व्हाइट हाउस ने अभी तक इस पर स्पष्ट बयान नहीं दिया है. वहीं, व्हाइट हाउस ने कहा, “हम अभी भी 2 अप्रैल से रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करने का इरादा रखते हैं.” हालंकि अधिकारियों के मुताबिक यह नीति अभी भी अंतिम रूप नहीं ले पाई है.
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
भारत अमेरिका का एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार है. यदि रेसिप्रोकल टैरिफ लागू होते हैं तो भारतीय फार्मास्युटिकल, आईटी और ऑटोमोबाइल सेक्टर प्रभावित हो सकते हैं. भारतीय कंपनियों को अमेरिका में उत्पाद महंगे होने के कारण नुकसान हो सकता है.
चीन और यूरोपीय संघ पर असर
चीन और अमेरिका के बीच पहले से ही व्यापार युद्ध चल रहा है. यदि टैरिफ बढ़ते हैं, तो चीन के इलेक्ट्रॉनिक्स और टेक उद्योग को झटका लग सकता है. यूरोपीय संघ अमेरिका के ऑटोमोबाइल और टेक्नोलॉजी उद्योग का एक बड़ा उपभोक्ता है. अमेरिका के नए टैरिफ से यूरोपीय कार कंपनियों (BMW, Mercedes) को नुकसान हो सकता है.