Mahrang Baloch: पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत बलूचिस्तान इन दिनों संघर्षों का केंद्र बन गया है. यहां अलगाववादी ताकतें मजबूत हो रही हैं और बीएलए जैसे चरमपंथी गुट सरकार को सीधी चुनौती दे रहे हैं. बलूच लोगों के पाकिस्तान सरकार के साथ तनाव के बीच मानवाधिकारों की एक प्रमुख पैरोकार और बलूच आकांक्षाओं की प्रतीक महरंग बलूच को हिरासत में लिया गया है, जिससे तनाव और बढ़ गया है.
पाकिस्तान के लिए बलूच आंदोलन प्रमुख चिंता का विषय है. उसे इस बात का डर है कि इससे अलगाववादी भावनाएं बढ़ेंगी और क्षेत्र में उसके अधिकार को चुनौती मिलेगी. महरंग को टाइम मैगजीन ने 100 अगले उभरते नेताओं में से एक के रूप में जगह दी है. उनकी और लगभग 150 कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हो रही है.
पाकिस्तान के खिलाफ मुखर लोगों में प्रमुख नाम है महरंग बलूच
महरंग बलूच ने जबरन गायब किए गए लोगों के रिश्तेदारों की अवैध गिरफ्तारी और अवैध पुलिस रिमांड के खिलाफ धरना प्रदर्शन का नेतृत्व किया था. महरंग और अन्य पर आतंकवाद समेत कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं. बलूच यकजेहती समिति (बीवाईसी) की नेता और डॉक्टर महरंग बलूच, बलूचिस्तान में जबरन गायब किए जाने और कथित न्यायेतर हत्याओं को लेकर मुखर रही हैं.
उनकी बहन इकरा बलूच ने उनकी गिरफ्तारी की निंदा करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि हुड्डा जेल में उनका सफर 18 साल पहले की याद दिलाता है जब उन्होंने अपने पिता को सलाखों के पीछे देखा था. उन्होंने लिखा, “उस समय महरंग हमारे साथ थीं आज, वह नहीं हैं’.
महरंग के पिता की हुई थी हत्या
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उनके पिता अब्दुल गफ्फार लैंगोव एक राष्ट्रवादी नेता थे. उनको 2009 में जबरन गायब कर दिया गया था और उनका शव तीन साल बाद लासबेला जिले में मिला था. इसके बाद से ही उन्होंने जबरन गायब किए जाने और न्यायेतर हत्याओं के खिलाफ लड़ने का फैसला किया. महरंग ने अपनी लड़ाई जारी रखी है हालांकि उन्हें मौत की धमकियां, यात्रा प्रतिबंध, हिरासत जैसे चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. दिसंबर 2023 में, उन्होंने जबरन गायब किए जाने के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए इस्लामाबाद में एक बड़े मार्च का आयोजन करने में मदद की, जिसका पुलिस ने कड़ा विरोध किया था.
बलूचिस्तान में तांबा, सोना, कोयला और प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार
पाकिस्तान के भूमि क्षेत्र का लगभग 44% हिस्सा बलूचिस्तान का है. यह अफगानिस्तान और ईरान के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा भी साझा करता है. इस प्रांत में केवल 5% कृषि योग्य जमीन है. यह अत्यंत शुष्क रेगिस्तानी जलवायु के लिए जाना जाता है लेकिन इसे प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर माना जाता है. इसके बावजूद विकास की दौड़ में सबसे पीछे रह गया है. इस प्रांत में तांबा, सोना, कोयला और प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार हैं, जो पाकिस्तान की खनिज संपदा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
बलूचिस्तान की भू-रणनीतिक अहमियत के कारण चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) का एक बड़ा हिस्सा इसी प्रांत में है. सीपीईसी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल का हिस्सा है और ग्वादर शहर का बंदरगाह इस प्रोजेक्ट के लिए बेहद अहम माना जाता है.
बलूचिस्तान के लोग दशकों से आरोप लगाते रहे हैं कि प्रांतीय और केंद्र सरकारें यहां के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर भारी मुनाफा कमाती रही हैं लेकिन इलाके में विकास को पूरी तरह उपेक्षा की जाती रही है. प्रांत में बलूच राष्ट्रवादियों ने आजादी के लिए 1948-50, 1958-60, 1962-63 और 1973-1977 में विद्रोह किए हैं.
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