Chaitra Purnima Vrat: चैत्र मास की पूर्णिमा पर सत्य नारायण व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. चैत्र पूर्णिमा के दिन ही हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है. इस तिथि पर सत्य नारायण व्रत और कथा भारतीय संस्कृति में शुभ कार्यों की शुरुआत का प्रतीक माने जाते हैं. चाहे गृह प्रवेश हो, मंदिर का जिर्णोद्धार हो या गणेश स्थापना, सत्य नारायण भगवान की कथा का आयोजन शुभ फल देने वाला माना जाता है. लेकिन चैत्र मास की पूर्णिमा को इस व्रत का विशेष महत्व बताया गया है.
पुराणों में उल्लेख: चैत्री पूर्णिमा और सत्यनारायण व्रत
‘पुराणसमुच्चय’ ग्रंथ के अनुसार, प्रत्येक मास की पूर्णिमा को पूर्ण चन्द्रमा, प्रकाशक सूर्य और विष्णुरूप सत्य नारायण का पूजन करने से अत्यंत पुण्य फल की प्राप्ति होती है. विशेष रूप से चैत्र मास की पूर्णिमा, जिसे चैत्री पूर्णिमा भी कहा जाता है, अत्यंत फलदायी मानी गई है.
इस दिन चन्द्रमा की उदयकाल व्यापिनी तिथि को मान्यता दी जाती है और उसमें:
- तीर्थ-स्नान
- देव-पूजन
- ब्राह्मण भोजन
- दान-पुण्य
- पुराण श्रवण
और सत्य नारायण कथा करने से जीवन में सुख-शांति, सौभाग्य और धर्म की वृद्धि होती है.
यदि पूर्णिमा तिथि में हो चित्रा नक्षत्र…
यदि इस दिन चित्रा नक्षत्र भी हो, तो विचित्र वस्त्रों का दान विशेष शुभ माना जाता है. इससे व्यक्ति को जीवन में सौंदर्य, ऐश्वर्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है.
आज करें भगवान विष्णु की आराधना
चैत्र पूर्णिमा पर आप चाहें तो अपने घर पर ब्राह्मण को बुलाकर सत्य नारायण व्रत और कथा का आयोजन कर सकते हैं. इस दिन भगवान विष्णु के नाम का जप करें–विशेषकर:
- विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ
- मंदिर में दर्शन
- दीपदान व दक्षिणा देना
यह सब करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और दिव्यता का संचार होता है. चैत्र मास की पूर्णिमा केवल एक तिथि नहीं, बल्कि भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करने का उत्तम अवसर है. सत्य नारायण व्रत, दान-पुण्य और नाम स्मरण के माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के मार्ग को प्रशस्त करता है.
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