Parshuram Jayanti 2025: परशुराम भगवान विष्णु जी के 6वें अवतार हैं. परशुराम जयंती सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसका पालन हर साल बड़े श्रद्धा भाव से किया जाता है. परशुराम जयंती 29 अप्रैल 2025 यानी आज है.
मान्यता है कि भगवान परशुराम आज भी जीवित हैं और किसी गुप्त स्थान पर रहकर तपस्या कर रहे हैं, ऐसे में इस दिन परशुराम जी की विधिवत पूजा करने वालों को साहस, पराक्रम और अपार शक्ति का आशीर्वाद मिलता है. शत्रु पर विजय प्राप्त होती है. परशुराम जयंती 2025 में कब है, इसका पूजा मुहूर्त भी जान लें.
परशुराम जयंती 2025 कब ?
परशुराम जयंती 29 अप्रैल 2025 को अक्षय तृतीया के दिन मनाई जाएगी. परशुराम जी की पूजा प्रदोषकाल में की जाती है.
परशुराम जयंती 2025 के शुभ मुहूर्त
- सुबह 10:47 से दोपहर 12:24
- दोपहर 03:36 से शाम 05:13
- शाम 05:13 से रात 08:49
- रात 08:13 से 09:36
परशुराम जयंती पूजा मंत्र
ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि, तन्नोपरशुराम: प्रचोदयात्।।
ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।।
परशुराम जयंती पूजा विधि
- तृतीया तिथि पर सूर्योदय से पहले पवित्र नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है.
- यदि नदी पर नहीं जा सकते हैं तो घर पर ही स्नान करने के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें.
- इसके बाद धूप दीप जलाएं और व्रत का संकल्प करें.
- परशुराम भगवान विष्णु के अवतार हैं इसलिए विष्णु जी को चंदन, तुलसी के पत्ते, कुमकुम, अगरबत्ती, फूल और मिठाई अर्पित करके विधिवत उनकी पूजा करें.
- चाहें तो किसी मंदिर में जाकर भगवान परशुराम के दर्शन और पूजा अर्चना करें.
- इस दिन व्रतधारियों को किसी भी प्रकार के अनाज या दाल का सेवन नहीं करना चाहिए.
- मटका, अन्न, खरबूजा आदि का दान करें.
परशुराम जी की आरती
ऊॅं जय परशुधारी, स्वामी जय परशुधारी।
ऊॅं जय परशुधारी, स्वामी जय परशुधारी।
सुर नर मुनिजन सेवत, श्रीपति अवतारी।। ऊॅं जय।।
जमदग्नी सुत नरसिंह, मां रेणुका जाया।
मार्तण्ड भृगु वंशज, त्रिभुवन यश छाया।। ऊॅं जय।।
कांधे सूत्र जनेऊ, गल रुद्राक्ष माला।
चरण खड़ाऊँ शोभे, तिलक त्रिपुण्ड भाला।। ऊॅं जय।।
ताम्र श्याम घन केशा, शीश जटा बांधी।
सुजन हेतु ऋतु मधुमय, दुष्ट दलन आंधी।। ऊॅं जय।।
मुख रवि तेज विराजत, रक्त वर्ण नैना।
दीन-हीन गो विप्रन, रक्षक दिन रैना।। ऊॅं जय।।
कर शोभित बर परशु, निगमागम ज्ञाता।
कंध चार-शर वैष्णव, ब्राह्मण कुल त्राता।। ऊॅं जय।।
माता पिता तुम स्वामी, मीत सखा मेरे।
मेरी बिरत संभारो, द्वार पड़ा मैं तेरे।। ऊॅं जय।।
अजर-अमर श्री परशुराम की, आरती जो गावे।
पूर्णेन्दु शिव साखि, सुख सम्पति पावे।। ऊॅं जय।।
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