बीना/सोनभद्र/एबीएन न्यूज। बीना पुलिस चौकी क्षेत्र अंतर्गत ग्राम कोहरौलिया से मुहर्रम के अवसर पर बड़ी श्रद्धा व उल्लास के साथ ताजिया का जुलूस निकाला गया। ताजिया जुलूस खड़िया मार्केट स्थित मस्जिद के पास पहलाम के साथ गजों-बाजों की धुन पर रवाना हुआ। इस दौरान बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग ही नहीं बल्कि हिन्दू समुदाय के लोग भी शामिल हुए। क्षेत्र में शांति, सौहार्द और भाईचारे का यह त्योहार पूरी गरिमा और धूमधाम से मनाया गया।
जुलूस के दौरान बीना पुलिस पूरी मुस्तैदी से तैनात रही। महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों ने भी पूरे मन से इसमें सहभागिता निभाई। मुहर्रम के इस दस दिवसीय पर्व का समापन रविवार को ताजिया मिलन और पहलाम के साथ किया गया।
मुहर्रम महीना सिर्फ इस्लामी वर्ष की शुरुआत का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह इंसाफ, बलिदान और त्याग का महीना भी है। यह कर्बला की ऐतिहासिक घटना की याद दिलाता है। 680 ईस्वी में 10वीं मुहर्रम को कर्बला के तपते मैदान में यजीद की सेना ने हजरत इमाम हुसैन और उनके काफिले का पानी रोक दिया था। बच्चे प्यास से तड़प रहे थे।
हजरत अब्बास ने जब यह दृश्य देखा, तो उन्होंने इमाम हुसैन से इजाजत मांगी कि वह बच्चों के लिए पानी ला सकें। मश्क (चमड़े का पानी का थैला) लेकर वे फरात नदी तक पहुंचे और दुश्मन की भारी संख्या को चीरते हुए पानी भरा। लेकिन लौटते समय दुश्मन ने हमला कर पहले उनके दोनों हाथ काट दिए। इसके बावजूद उन्होंने मश्क को दांतों से पकड़कर पानी पहुंचाने की कोशिश की। अंततः वे शहीद हो गए और मश्क में भरा पानी जमीन पर गिर गया।
हजरत अब्बास की यह कुर्बानी आज भी ‘सक्का-ए-कर्बला’ के नाम से अमर है। उन्हें ‘बाब-उल-हवाइज’ भी कहा जाता है, यानी जरूरतमंदों का दरवाजा। मुहर्रम के जुलूस में उनके सम्मान में मश्क की झांकी और अलम उठाया जाता है। इस मौके पर गांव के सभी चौक और रास्ते गुलजार रहे। लोगों ने एक-दूसरे से गले मिलकर अमन और एकता का संदेश दिया।