सोनभद्र/एबीएन न्यूज। विश्व रैबीज दिवस 2025 के उपलक्ष्य में मुख्य चिकित्साधिकारी, सोनभद्र की अध्यक्षता में जूनोटिक समिति की समन्वय बैठक आयोजित की गई। बैठक में शिक्षा विभाग, पशु चिकित्सा विभाग, वन विभाग, कृषि विभाग, आपदा विभाग, नगर निकाय विभाग, आईएमएस प्रतिनिधि और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।
मुख्य चिकित्साधिकारी ने रैबीज सहित अन्य जूनोटिक रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए विभिन्न विभागों के बीच अंतर-क्षेत्रीय समन्वय को और मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने समुदायों में जागरूकता फैलाने और प्रचार-प्रसार बढ़ाने पर भी जोर दिया।
बैठक में जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. प्रेमनाथ ने बताया कि विश्व में प्रतिवर्ष लगभग 59,000 लोग रैबीज से मौत का शिकार होते हैं। सोनभद्र जिले में भी मामले लगातार बढ़ रहे हैं—वर्ष 2023 में 12,259, वर्ष 2024 में 15,254 और अगस्त 2025 तक 16,672 लोग जानवरों के काटने से प्रभावित हुए। इसके लिए आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या, शहरीकरण, जंगलों की कटाई, पशु व्यापार, कमजोर नियंत्रण प्रणाली और जनजागरूकता की कमी को मुख्य कारण माना गया।
पशु चिकित्सा विभाग से कुत्तों का नियमित टीकाकरण सुनिश्चित करने, संदिग्ध पागल कुत्तों की निगरानी प्रणाली मजबूत करने और जनता को काटने की रोकथाम संबंधी शिक्षा देने की अपेक्षा की गई। कृषि विभाग को चौपालों के माध्यम से किसानों को रैबीज जैसी बीमारियों से बचाव के उपायों के बारे में जागरूक करने के निर्देश दिए गए।
बैठक में समिति सदस्यों के साथ डॉ. पंकज राय, डॉ. गुलाब शंकर, डॉ. प्रेमनाथ, डॉ. वरुणानिधि, डॉ. प्रशांत पाल, डॉ. ऋषिमणि त्रिपाठी, श्री धर्मेंद्र नारायण, आशीष कुमार और रवि प्रकाश श्रीवास्तव उपस्थित रहे। बैठक का समापन डॉ. गुलाब शंकर द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया गया। बैठक में रैबीज की रोकथाम के लिए सामुदायिक जागरूकता और विभागीय समन्वय को सबसे प्रभावी उपाय बताया गया।
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